Laxmi Puja: गोधूलि बेला में करें लक्ष्मी प्रिय ये कार्य, कभी नहीं होगी धन की कमी"/>

Laxmi Puja: गोधूलि बेला में करें लक्ष्मी प्रिय ये कार्य, कभी नहीं होगी धन की कमी

सनातन धर्म में तुलसी की पूजा करना शुभ माना जाता है। माता तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय हैं। तुलसी के बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है।

HIGHLIGHTS

  1. तुलसी, विष्णु प्रिय होने से देवी लक्ष्मी को भी वे प्रिय हैं।
  2. सूर्योदय और सूर्यास्त के समय देवी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए।
  3. मां लक्ष्मी की आराधना करने से वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती हैं।

धर्म डेस्क, इंदौर। Laxmi Puja: सनातन धर्म में धन-धान्य और सुख-समृद्धि के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। ज्योतिष शास्त्र में मां लक्ष्मी को धन की स्वामिनी कहा जाता है। शास्त्रों में देवी लक्ष्मी की पूजा करना शुभ माना गया है। धन की देवी मां लक्ष्मी की आराधना करने से वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती हैं। ज्योतिष शास्त्र में देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कई उपाय और नियम बताए गए हैं। इन नियमों का पालन करने से मां लक्ष्मी का हमेशा घर में वास रहता है।

 

गोधूलि बेला में करें ये काम

 

सनातन धर्म में तुलसी की पूजा करना शुभ माना जाता है। माता तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय हैं। तुलसी के बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है। तुलसी, विष्णु प्रिय होने से देवी लक्ष्मी को भी वे प्रिय हैं, ऐसे में जो लोग अपने परिवार के साथ माता तुलसी की पूजा करते हैं, उन्हें जल चढ़ाते हैं और उनके सामने दीपक जलाते हैं, ऐसे घरों में मां लक्ष्मी हमेशा वास करती हैं।

 

सूर्योदय और सूर्यास्त के समय करें पूजा

 
 

अगर आप आर्थिक तंगी से घिरे हुए हैं, तो आपको सूर्योदय और सूर्यास्त के समय देवी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। शास्त्रों में शाम के समय को पूजा के लिए अत्यंत लाभकारी माना गया है। इस दौरान पूजा करने पैसों से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।

 

देवी तुलसी की करें परिक्रमा

 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शाम के समय तुलसी के पौधे के सामने घी का दीपक जलाएं। साथ ही तुलसी जी की परिक्रमा भी करनी चाहिए। रोजाना इस नियम का पालन करने से धन-धान्य भरा रहता है।

 

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button