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बेलपत्र है गुणकारी पर बेवजह खाने से दे रहा मुंह की बीमारी, स्वाद गायब होने के बाद डाक्टरों के पास पहुंचे मरीज

बेलपत्र में वनस्पति में एल्केलाइड होता है, जिसकी मात्रा पत्ती में उसकी उम्र के हिसाब से अलग अलग होती है। जिसे औषधि गुण भी कहा जाता है, जिसकी उपयोगिता पत्ती की उम्र के हिसाब से बदलती है।

HIGHLIGHTS

  1. बेलपत्र है गुणकारी पर बेवजह खाने से दे रहा मुंह की बीमारी
  2. इंटरनेट मीडिया पर बीमारी दूर भगाने का उपाय लोग करने लगे बेलपत्र सेवन
  3. मुंह का स्वाद गायब होने के बाद डाक्टरों के पास पहुंचे मरीज

अजय उपाध्याय, ग्वालियर। भगवान शिव की पूजा के साथ औषधि के रूप में भी उपयोग में आने वाला बेलपत्र इन दिनों उन लोगों के लिए बड़ी परेशानी का कारण बन गया है, जिन्होंने बिना किसी विशेषज्ञ की सलाह के इसका असीमित रूप से सेवन करना शुरू कर दिया है। इससे उनके मुंह का स्वाद चला गया। मुंह में जलन से असहनीय पीड़ा हो रही है, चिकनापन रहता है, जिससे उन्हें बेचैनी और घबराहट हो रही है।

 
 

लगातार इस तरह की समस्याओं से ग्रसित मरीजों के पहुंचने पर जब डाक्टरों ने इन मरीजों की मे़डिकल हिस्ट्री व खान पान को लेकर पूछताछ की तो पचा चला कि इन सभी ने इंटरनेट मीडिया पर बीमारी दूर भगाने व स्वस्थ रहने के उपाय सुनाकर इसका सेवन शुरू किया था।

 

यहीं नहीं कुछ संतो ने भी मन में आत्मविश्वास जगाने और घरेलू समस्यओं के निवारण के लिए इसके सेवन का उल्लेख अपने प्रवचनों में किया थ। परेशानी में घिरने के बाद जब डाक्टरों के कहने पर इन्होंने बेलपत्र का सेवन बंद कर दिया तो अब उनके मुंह का स्वाद वापस लौटने लगा है। डाक्टरों के अनुसार ग्वालियर के अलावा देश के अन्य शहरों में ऐेसे उदाहरण देखने के मिले रहे हैं।

टीवी पर प्रवचन सुने और खाने लगे बेलपत्र

पड़ाव के रहने वाले 48 वर्षीय रवि अग्रवाल का कहना है कि पिछले 8 माह से बेलपत्र की दो पत्तियां हर सुबह चबाते हैं। कुछसमय से मुंह में छाले, नमक का स्वाद आना बंद हो गया, जलन बनी रहती है, जिसका अब इलाज ले रहा हूं। भिंड के रामसेवक शर्मा का कहना है कि बेलपत्र खाने से उनके मुंह का स्वाद गायब हो चुका है, जिसका उपचार करा रहा हैं। टीवी पर प्रवचनों में बेलपत्र का उल्लेख सुन इसके सेवन शुरू किया था।

 

बेलपत्र के हर भाग का अपना महत्व, होता है फायदा

आयुर्वेद कालेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डा आरके गुप्ता का कहना है कि बेलपत्र की पत्ती पर अभी तक कोई शोध नहीं हुआ है पर यह माना जाता है कि कड़वे फल, रस या पत्ती खाने से ब्लड शुगर में लाभ होता है, इसलिए काफी सारे लोग पत्ती का सेवन करते हैं। बेलपत्र के फल व जड़ पर शोध हो चुका है। पके हुए फल का सेवन करने से कब्ज दूर होती है और पेट संबंधी विकार दूर हो जाते हैं व पाचन क्रिया ठीक रहती है। डायरिया, दस्त में बेलपत्र का कच्चा फल लाभदायक है।

बेलपत्र की जड़ हृदय संबंधी रोग में लाभदायी है। जड़ को सुखाकर उसका चूर्ण बनाकर उसे दूध के साथ सेवन करने से हृदय संबंधी बीमारी में लाभ मिलता है और हृदय की नसें मजबूत होती हैं। परंतु यह सभी उपचार विशेषज्ञ चिकित्सकीय सलाह पर ही कारगर हैं।

इसलिए होती है परेशानी

चिकित्सकों के अनुसार बेलपत्र की पत्ती अधिक समय तक खाने से मुंह का सलाइवा कम होने लगता है। जब मुंह में लार नहीं बनेगी तो स्वाद नहीं आएगा और जलन व ऐंठन होने लगती है। पत्तों में माइकोटोक्सिन होता जो त्वचा संबंधी परेशानी पैदा कर सकता है, इसी तरह से पत्तों में आक्सलिक एसिड होता जो उल्टी व पेट दर्द की समस्या दे सकता है व सोडियम रक्तचाप को बढ़ाने का काम करता है। गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए। यदि पत्ती का सेवन करना है तो वैद्य की सलाह पर ही करें।

 

 

बेलपत्र खाने के बाद मुंह का स्वाद, जलन और चिकनापन की शिकायत लेकर अब तक करीब 50 से अधिक मरीज आ चुके हैं। यह समस्या ग्वालियर सहित देश भर के अलग-अलग शहरों में लोगों को यह परेशानी हो रही है। जिन लोगों ने बेलपत्र का सेवन करना बंद किया तो वह ठीक होने लगे।

डा. रविंद्र बंसल, ईएनटी विशेषज्ञ

 

बेलपत्र में वनस्पति में एल्केलाइड होता है, जिसकी मात्रा पत्ती में उसकी उम्र के हिसाब से अलग अलग होती है। जिसे औषधि गुण भी कहा जाता है, जिसकी उपयोगिता पत्ती की उम्र के हिसाब से बदलती है। इनका सेवन जानकार के अनुसार ही किया जा सकता अन्यथा यह नुकसानदायी हो सकते हैं।

 

 

प्रो. अविनाश शर्मा, वनस्पति शास्त्र एवं कुलपति जीवाजी विश्वविद्यालय

 

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