LIVE Chandrayaan-3 on Moon: चंद्रमा की सतह पर जहां-जहां घूमेगा रोवर, वहां-वहां छोड़ेगा भारत की अमिट छाप, जानिए कैसे

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LIVE Chandrayaan-3 on Moon: चंद्रमा की सतह पर जहां-जहां घूमेगा रोवर, वहां-वहां छोड़ेगा भारत की अमिट छाप, जानिए कैसे

HighLights

  • चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला भारत पहला देश बना
  • दुनिया ने माना भारत का लोहा, सभी देखों में हुई तारीफ
  • अब प्रज्ञान रोवर 14 दिन तक करेगा अध्ययन

श्रीहरिकोटा। चंद्रमा पर सुरक्षित लैंडिंग के बाद चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3 on Moon) ने तस्वीरें भेजना शुरू कर दिया है। विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर, दोनों चंद्रमा की सतह का अध्ययन करेंगे और डेटा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (ISRO) भेजेंगे। तस्वीरें आना शुरू हो गई हैं।

इससे पहले बुधवार शाम को भारत ने इतिहास रचते हुए चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतार दिया। पूरी दुनिया ने अंतरिक्ष में भारतीय वैज्ञानिकों की महारथ देखी। दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला भारत दुनिया का पहला देश है।

सबसे पहले क्या करेगा रोवर

चंद्रमा की सतह पर प्रज्ञान रोवर डेटा एकत्र करने के अलावा और भी बहुत कुछ करेगा। रोवर के छह पहिये हैं, जो चांद की धरती का अध्ययन करेंगे। इन्हीं पहियों में सबसे पीछे वाले पहियों पर भारत का राष्ट्रीय चिह्न यानी अशोक स्तंभ और ISRO का LOGO गुदा हुआ है। प्रज्ञान रोवर चांद की धरती पर जहां भी घूमेगा, वहीं पर पीछे-पीछे ये निशान भी बनते चले जाएंगे। चांद पर हवाएं नहीं चलती हैं। इसके चलते ये निशान मिटने की आशंका नहीं है।

 

कांग्रेस नेहरू के वैज्ञानिक सोच का ढिंढोरा पीट रही है : अमित मालवीय

 

चंद्रयान-3 की सफलता के बाद राजनीति भी शुरू हो गई है। भाजपा ने जहां इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अंतरिक्ष में भारत की ऊंची उड़ान करार दिया, वहीं कांग्रेस ने इसे नेहरू की दूरदर्शी सोच का परिणाम करार दिया।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा की आईटी सेल के राष्ट्रीय प्रभारी अमित मालवीय ने कहा-

 

 

कांग्रेस विशेष रूप से पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के वैज्ञानिक सोच के बारे में ढिंढोरा पीट रही है। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की दुनिया में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरने और कठिन मिशनों को पूरा करने में भारत की सफलता हाल के दिनों की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार द्वारा इसरो को अपेक्षित बजट का आवंटन करने के बाद यह संभव हो पाया है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि ‘कुछ भी कर सकते हैं’ की भावना काम कर रही है।

 

 

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