Maharashtra Politics: क्या मोदी कैबिनेट में मंत्री पद का ऑफर मिला, पढ़िए शरद पवार का जवाब
Maharashtra Politics: क्या मोदी कैबिनेट में मंत्री पद का ऑफर मिला, पढ़िए शरद पवार का जवाब
HighLights
- कांग्रेस को शरद पवार पर भरोसा नहीं
- अशोक चव्हाण के बयान पर मचा हंगामा
- कहा था- अजित पवार ने शरद पवार को ऑफर किया केंद्र में मंत्री पद
मुंबई। महाराष्ट्र (Maharashtra) में इस बात पर सियासी घमासान छिड़ा है कि शरद पवार (Sharad Pawar) के मन में क्या चल रहा है? क्या वे एनडीए (NDA) के साथ जा सकते हैं या पूरी तरह से विपक्ष के साथ हैं? इसी क्रम में उनके मोदी कैबिनेट में शामिल होने का मुद्दा भी उठा। अब खुद शरद पवार ने इस पर से पर्दा उठाने की कोशिश की है।
शरद पवार ने साफ कर दिया है कि उन्हें मोदी कैबिनेट में शामिल होने का कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। साथ ही कहा कि पिछले दिनों भतीजे और अब महाराष्ट्र सरकार में डिप्टी सीएम अजित पवार के साथ एक बिजनेसमैन के घर घंटों चली बैठक का इससे कोई संबंध नहीं है।
मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने क्या कहा। अजित पवार के साथ बैठक गुप्त थी और वहां कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई। मुझे कैबिनेट में जगह नहीं दी गई। ये सभी रिपोर्टें निराधार हैं। मैं पार्टी में सबसे वरिष्ठ हूं, मुझे कौन ऑफर देगा। दिग्गज ने पूछा। – शरद पवार
कांग्रेस को शरद पवार पर भरोसा नहीं
शरद पवार को मोदी कैबिनेट में मंत्री पद का ऑफर मिलने बात कांग्रेस ने फैलाई। पार्टी के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने एक इंटरव्यू में कहा कि अजित पवार ने अपने चाचा के सामने भाजपा का दिया मंत्री पद का ऑफर रखा है।
पृथ्वीराज चव्हाण के इस दावे के बाद से राजनीति गर्म थी। हालांकि शरद पवार की सांसद बेटी सुप्रिया सुले ने सफाई दे दी थी कि उन्हें किसी प्रकार का ऑफर नहीं मिला है।
चुनाव आयोग ने NCP के धड़ों से तीन सप्ताह में मांगा जवाब
इस बीच, चुनाव आयोग ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के दोनों विरोधी गुटों को पार्टी के नाम और आधिकारिक चिन्ह से संबंधित नोटिस का जवाब देने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है। एक गुट शरद पवार के नेतृत्व वाला और दूसरा उनके भतीजे अजीत पवार की अगुवाई वाला है।
दोनों ने पार्टी के नाम और आधिकारिक चुनाव चिह्न के दावे पर निर्वाचन आयोग के नोटिस पर अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा था। आयोग ने 27 जुलाई को दोनों प्रतिद्वंद्वी गुटों को नोटिस जारी कर उनसे असली पार्टी होने का दावा करते हुए आयोग को सौंपे गए दस्तावेजों का आदान-प्रदान करने को कहा था।