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बीमां कंपनियां आपकी कार का बाजार मूल्य कैसे करती हैं निर्धारित, समझें आईडीवी का फॉर्मूला

IDV in Car Insurance: आज अधिकांश लोगों के पास अपना वाहन है। अगर आपके पास दो या चार पहिया वाहन है तो आपने इंश्योरेंस जरूर कराया होगा। बीमा पॉलिसी लेते समय लोग इस बात का खास ध्यान रखते हैं कि इसमें अधिक से अधिक नुकसान की भरपाई हो सके। इंश्योरेंस पॉलिसी प्राकृति आपदा के कारण गाड़ी को हुए नुकसान के लिए भी कवरेज प्रदान करती है।

वाहन को हुए नुकसान के लिए बीमा कंपनी कितनी राशि का भुगतान करेगी। यह आपके गाड़ी की आईडीवी (बीमाकृत मूल्य) पर निर्भर करता है। बीमा लेते समय कंपनी वाहन के मार्केट मूल्य का आकलन करती है, लेकिन क्या आपको पता है कंपनी किसी कार की IDV किस आधार पर तय करती है। आइए आगे आपको बताते हैं।

आईडीवी किस आधार पर तय किया जाता है?

आईडीवी निर्धारित करने का एक फॉर्मूला है। आईडीवी निर्धारित करते समय वाहन का साल, महीना, मॉडल आदि को ध्यान में रखा जाता है। उसके अनुसार मूल्य की गणना की जाती है।

आम तौर पर छह महीने पुराने वाहन की आईडीवी 95 प्रतिशत है, जो शोरूम कीम से 5 प्रतिशत कम है।

अगर कार 6 महीने से एक साल पुराना है, तो आईडीवी शोरूम कीमत से 15 प्रतिशत कम होगी।

1 साल से 2 वर्ष पुराने वाहनों के लिए आईडीवी शोरूम कीमत से 20 प्रतिशत कम निर्धारित की जाती है।

2 साल से 3 वर्ष तक के पुराने वाहन की आईडीवी शोरूम कीमत से 30 फीसदी कम रखी गई है।

3 साल से 4 साल के बीच इस्तेमाल किए गए वाहन की आईडीवी शोरूम कीमत से 40 प्रतिशत कम से लेकर शोरूम कीमत के 60 प्रतिशत है।

4 साल से 5 साल तक पुराने वाहन की आईडीवी शोरूम कीमत का 50 प्रतिशत है।

5 साल से अधिक पुराने वाहनों के लिए आईडीवी का निर्धारण मार्केट मूल्य, सर्विसिंग स्थिति और बॉडी पार्ट्स पर किया जाता है। इस मामले में कार की कीमत इंश्योरेंस कंपनी और कस्टमर की सहमति से तय की जाती है।

आईडीवी की जरूरत क्यों है?

बीमा कंपनी और कस्टमर के बीच किसी तरह के विवाद से बचने के लिए आईडीवी जरूरी है। दरअसल, जब कार चोरी या क्षति के मामले में मुआवजे की बात आती है, तो ग्राहक मुआवजे के रूप में अधिक मांग करता है और कंपनी कम से कम भुगतान करना चाहती है। इसलिए IDV के रूप में वाहन की कीमत बीमा के समय निर्धारित किया जाता है। ऐसे में जब क्लेम करते समय कोई विवाद नहीं होता और मामला सरलता से निपट जाता है।

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