छह साल बाद 20 जुलाई को रविशंकर विश्वविद्यालय आ रही नैक टीम, तैयारियां पूरी
रायपुर: पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय को ग्रेड देने के लिए छह साल बाद नेशनल एसेसमेंट एंड एक्रीडिटेशन काउंसिल (नैक) की टीम 20 जुलाई को आ रही है। अच्छी ग्रेडिंग पाने के लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन किसी भी तरह की लापरवाही नहीं करना चाहता है, इसलिए हर स्तर पर तैयारियों को परखा जा रहा है। विभागों ने नैक टीम को दिखाने के लिए प्रजेंटेशन तैयार कर लिया है, प्रजेंटेशन को चार से पांच स्तर पर परखा गया है। 20 स्लाइड के प्रजेंटेशन में विभाग शुरू होने से अबतक का पूरा लेखा-जोखा है। क्लासरुम की टूटी कुर्सी-मेज को बदल दिया गया है। साफ-सफाई के साथ ही पोताई भी कर दी गई है। गार्डन की कटिंग करके सुंदर बनाया गया है।
विश्वविद्यालय प्रबंधन हर स्तर में खुद को अच्छा साबित करने में जुटा है। तैयारियों की निगरानी कुलपति डा. सच्चिदानंद शुक्ला खुद कर रहे हैं। प्रतिदिन हर विभाग में जाकर तैयारियों की समीक्षा कर रहे हैं।तैयारियों की समीक्षा करने के लिए विशेषज्ञ टीम को बुलाकर दो बार माकड्रिल भी हो चुका है। पिछली बार नैक टीम 2016 में विश्वविद्यालय आई थी,जिसमें विश्वविद्यालय को ए प्लस ग्रेड मिला है।
उपलब्धियां बताने विभाग में लगे पोस्टर
विभाग अपनी उपलब्धि बताने के लिए आठ से 10 पोस्टर लगाए है। पोस्टर में विभाग से पढ़े पांच से 10 ऐसे लोगों के बारे में फोटो के साथ उनकी उपलब्धियों को दिखाया गया है, जो प्रदेश और देश में चर्चित नाम है। इसके अलावा यहां से पढ़ने वाले अभी तक कितने छात्रों का प्रतियोगी परीक्षाओं में चयन किया गया है। कितने रेगुलर प्रोफेसर है, कितने अतिथि प्रोफेसर पढ़ा रहे हैं।नेट, पीएचडी कितने छात्रों ने किया है।पांच सालों में प्रोफेसर ने कितने नेशनल-इंटरनेशनल सेमिनार में हिस्सा लिए, कितने शोध पत्र प्रकाशित करवाए, उन्हें इन पांच सालों में कितने सम्मान मिले हैं। इस सब बातों को बोर्ड के जरिए दर्शाया गया है।
छुट्टियों में भी कर्मचारी-प्रोफेसर कर रहे काम
नैक की टीम आने से पहले तैयारियों को लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन सारी छुट्टियां रद्द कर दी है। छुट्टियों के दिन भी कर्मचारी, प्रोफेसर आकर तैयारियों में जुटे हैं। शनिवार, रविवार और साेमवार को नैक टीम 19 जुलाई को आ जाएगी। नैक की अच्छी ग्रेडिंग से ही विश्वविद्यालय की पहचान होती है। अच्छे नैक ग्रेड के विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने से छात्रों को भी फायदा मिलता है।
स्लाइड प्रजेंटेशन में इन बातों का रखेंगे विशेष ध्यान
हर प्रोफेसर की पांच साल की उपलब्धि – प्रतियोगी परीक्षाओं में चयनित स्टूडेंट्स की संख्या – नेट, पीएचडी करने वाले छात्रों की संख्या – विभाग से पढ़कर निकले नामचीन हस्ती – विभाग की स्थापना, कितनी सीटें है, अबतक कितने हेड बन चुके है – रेगुलर प्रोफेसर की संख्या, अतिथि प्राध्यापकों की संख्या – कोर्स करने के बाद कहां-कहां रोजगार के अवसर मिलेंगे।