2019 वाली गलती से अखिलेश यादव ने लिया सबक? समझें संसद छोड़ विधानसभा में एंट्री की मायने

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव नतीजों के ऐलान के बाद से ही यह बड़ा सवाल बना हुआ था कि अखिलेश यादव करहल सीट से विधायक रहना पसंद करेंगे या आजमगढ़ से सांसद। मंगलवार को लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा देकर साफ कर दिया है कि पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ने वाले अखिलेश यादव करल के विधायक बने रहेंगे। माना जा रहा है कि 2027 को ध्यान में रखकर समाजवादी पार्टी ने रणनीति में बदलाव किया है। पार्टी के लिए केंद्र की राजनीति से अधिक यूपी में पकड़ मजबूत करना जरूरी है।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि 2017 में सत्ता गंवाने के बाद 2019 में अखिलेश यादव के लोकसभा चले जाने से वोटर्स के बीच गलत संदेश गया। वह विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले तक यूपी की जमीनी राजनीति में कम सक्रिय रहे। कई मौकों पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने उनसे अधिक सक्रियता दिखाई और अखिलेश ट्विटर तक सीमित रह गए। माना जा रहा है कि इस धारणा का चुनाव में सपा को नुकसान उठाना पड़ा।

सूत्रों के मुताबिक, होली के अवसर पर जब पूरा मुलायम परिवार सैफई में एकत्रित हुआ तो इस बात पर भी मंथन हुई कि अखिलेश यादव को विधानसभा की सदस्यता छोड़नी चाहिए या लोकसभा की। बताया जा रहा है कि खुद सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश को विधानसभा में रहकर अगले चुनाव की तैयारी में अभी से जुट जाने की सलाह दी। राम गोपाल यादव भी यही चाहते थे।

समाजवादी पार्टी भले ही सत्ता से दूर रह गई हो, लेकिन 2017 के मुकाबले पार्टी के वोट शेयर में बड़ा इजाफा हुआ है। सीटें भी काफी बढ़ गई हैं। इससे पार्टी के उत्साह में इजाफा हुआ है। चुनाव नतीजों को अखिलेश यादव ने भी इसी नजरिए से देखते हुए कहा था कि उनकी पार्टी की सीटें बढ़ी हैं और भाजपा की सीटें घटी हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि वह खुद नेता विपक्ष बनकर योगी को सीधी टक्कर देते हैं या फिर किसी और को आगे करेंगे?

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button