छत्तीसगढ़ भाजपा के सामने दो चुनौतियां: कांग्रेस की गारंटी और अंदरूनी सर्वे, शीर्ष नेतृत्व सतर्क
रायपुर: Chhattisgarh Election 2023: छत्तीसगढ़ में होने जा रहे विधानसभा चुनाव 2023 की तैयारी में जुटी भाजपा के सामने दो चुनौतियां सामने आई हैं। पहली चुनौती कांग्रेस शासित राज्यों में कांग्रेस की गांरटी है जो कि भाजपा के लिए खतरे की घंटी बनती दिख रही है। दूसरी चुनौती छत्तीसगढ़ में भाजपा की ओर से कराए गए अंदरूनी सर्वे से है। जिसमें 34 विधानसभा सीट पर भाजपा को निश्चित जीत मिल रही है, जबकि 14 सीट पर पार्टी जीत के करीब है।
पिछले पांच और छह जुलाई को रायपुर पहुंचे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की बैठक और सात व आठ जुलाई को दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की बैठक में इन चुनौतियों से निपटने के लिए रोड मैप बनाने के लिए छत्तीसगढ़ भाजपा को काम दिया गया है।
14 जुलाई को अपने फार्मेट के आधार पर रिपोर्ट लेंगे शाह
अमित शाह ने तो अपना फार्मेट दिया है जिसके आधार पर प्रदेश में विधानसभावार रिपोर्ट तैयार की जा रही है। इस रिपोर्ट पर 14 जुलाई को अमित शाह चर्चा करेंगे और चुनावी रणनीति तय होगी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव का कहना है कि पार्टी अपने रणनीति के अनुसार काम कर रही है और आने वाले चुनाव में पूर्ण बहुमत के साथ भाजपा सरकार बनाएगी।
कांग्रेस की इन गारंटी से खतरा ?
हिमाचल प्रदेश से लेकर कर्नाटक चुनाव तक कांग्रेस की निश्शुल्क अनाज, सस्ती रसोई गैस और पुरानी पेंशन योजना जैसी गारंटी सफल होने के बाद भाजपा इन मुद्दों पर गंभीरता से विचार कर रही है। वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने न्याय योजना की घोषणा की थी जिसमें लोगों को न्यूनतम 72 हजार रुपये वार्षिक आमदनी की गारंटी दी थी। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल और राजस्थान में गहलोत सरकार इसी न्याय योजना के आधार पर आगे बढ़ रही है।
मध्यप्रदेश में सस्ता सिलिंडर देने का वादा
मध्यप्रदेश में कांग्रेस अभी से 500 रुपये में रसोई गैस सिलिंडर, महिलाओं के लिए 1500 रुपये और 100 यूनिट बिजली बिल का हाफ, पुरानी पेंशन योजना जैसी गारंटी की दावा कर रही है। हालांकि यहां की भाजपा सरकार ने भी लाडली बहना योजना की राशि एक हजार रुपये से बढ़ाकर 3000 कर दी है। छत्तीसगढ़ में भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यह कहकर पिछले दिनों सस्ती रसोई गैस सिलिंडर को लेकर संकेत दिए थे कि घोषणा पत्र में कुछ करने के लिए बचाना पड़ेगा।
तीन राज्यों में छत्तीसगढ़ में ज्यादा चुनाैती
पिछले पांच व छह जुलाई को अमित शाह ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर समीक्षा की थी। उन्होंने बेहतर कार्ययोजना के साथ प्रदेश में सरकार बनाने का फार्मूला दिया था। पार्टी सूत्रों की मानें इसमें यह बात भी स्पष्ट हुई थी राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक छत्तीसगढ़ में चुनौती है।
आदिवासी सीटों पर अधिक चुनौती
राजनीतिक प्रेक्षकों की माने तो छत्तीसगढ़ भाजपा को आदिवासी सीटों पर अधिक चुनौती है। आंतरिक सर्वेक्षण के अनुसार पार्टी को 29 आदिवासी सीटों पर खासकर बस्तर और सरगुजा क्षेत्र में अधिक पकड़ मजबूत करने की जरूरत है। पिछले 2018 की चुनाव में 29 आदिवासी सीटों में भाजपा को केवल तीन सीट मिली थी। बाद में दंतेवाड़ा में उप चुनाव होने के बाद भी भाजपा ने यहां भी हार गई।
गौरतलब है कि पिछली बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 68 सीट मिली थी जबकि भाजपा 15 सीटों पर सिमट गई थी। वर्तमान में कांग्रेस के पास 71 सीटें हैं जबकि भाजपा के पास 13 सीटें हैं।