400 रुपये में 1 किलो, जीरा बिगाड़ेगा खाने का स्वाद, कीमतों ने तोड़े सारे रिकॉर्ड

बेमौसम बारिश ने इस साल जीरे की खेती को बर्बाद कर दिया। जिस वजह से जीरे (Cumin) की कीमतों ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। गुजरात के उंझा मार्केट (Gujrat Unjha Market) में एक क्विंटल जीरा 40,000 रुपये में बिक रहा है। यानी थोक में एक किलो का भाव 400 रुपये है। अगर आप भी खाने में जीरे के स्वाद के शौकिन हैं तो आपका जायका बिगड़ सकता है। बता दें, गुजरात के मेहसाणा जिले में स्थित उंझा मार्केट मसालों के लिए दुनिया का सबसे बड़ा ट्रेडिंग यार्ड माना जाता है। 

उंझा APMC के चेयरमैन दिनेश पटेल ने बताया, “डिमांड और सप्लाई में बड़ा गैप है। मार्केट में 80 लाख बैग की मांग है। लेकिन प्रोडक्शन 50 से 55 लाख बैग ही है। बेमौसम बारिश ने गुजरात और राजस्थान में जीरा की फसलों को चौपट करके रख दिया है। इन्हीं दोनों राज्यों में जीरा की सबसे ज्यादा खेती होती है।” 

बेमौसम बारिश के अलावा घरेलू और इंटरनेशन मार्केट में बढ़ी मांग ने कीमतों में आग लगा दी है। NCDEX पर जीरा फ्यूचर की कीमतें मौजूदा समय में पिछले साल की तुलना में 77 प्रतिशत अधिक है। इसके अलावा अन्य मसालों की कीमतों में भी पिछले साल की तुलना में तेजी देखने को मिल रही है। बता दें, फरवरी और मार्च में जीरा की फसल मार्केट में पहुंचती है। 

गुजरात और राजस्थान में इस बार ज्यादा एरिया में जीरे की फसल लगाई गई थी। FISS के अनुसार पिछले साल के मुकाबले इस एरिया में 13 प्रतिशत का इजाफा देखने को मिला है। उम्मीद जताई जा रही थी कि राजस्थान से 44 लाख बैग्स और गुजरात से 26 लाख बैग्स का प्रोडक्शन होगा। लेकिन बेमौसम बारिश ने सब चौपट कर दिया। FISS के चेयरमैन अश्विन नायक के अनुसार, “राजस्थान में बेसौसम बारिश ने 15 से 20 प्रतिशत तक जीरे की फसल को नुकसान पहुंचाया है। इस बारिश ने करीब 10 लाख बैग्स बर्बाद किए हैं।”  

एक्पोर्ट रेट बढ़ा 

अश्विन बताते हैं कि वित्त वर्ष 2022-23 में विदेशी बाजार में 2800 अमेरिकी डॉलर के हिसाब से जीरे को बेचा गया था। इस साल यही रेट 3800 से 4000 रुपये प्रति टन बिक रहा है। अप्रैल 2022 से जनवरी 2023 तक जीरे के एक्सपोर्ट में 17.80 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली थी। भारत के नजरिए से अच्छी बात यह है कि पिछले 3 सालों से सीरिया, तुर्की और ईरान से जीरे के एक्सपोर्ट में गिरावट आई है। बता दें, सीरिया और तुर्की, भारत के सबसे करीबी प्रतिद्वंदी हैं। लेकिन इन दोनों देशों ने अपना प्रोडक्शन और एक्सपोर्ट घटा दिया है। 

स्पेसिज बोर्ड ऑफ इंडिया के टास्कफोर्स कमेटी के सदस्य योगेश पटेल कहते हैं, “जीरे की नई फसल आ गई है। ऐसे में कुछ लोग आर्टिफिशिएल तरीके से कीमतों को बढ़ा रहे हैं। तुर्की के द्वारा जीरे की फसल को सिंचाई वाली फसलों की लिस्ट से हटाना भारतीय नजरिए से अच्छी खबर है। भारत के एक्सपोर्ट के लिए यह काफी फायदेमेंद साबित हो सकता है। हालांकि, ध्यान रखें की जीरा एक जरूरी कमोडिटी नहीं है। अगर कीमतें अधिक हुई तो लोग इसे खरीदना बंद कर देंगे। 

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