जीवन लम्बा होने के बजाय महान होना चाहिए, पढ़ें अंबेडकर जयंती पर उनके ऐसे ही विचार

14 अप्रैल को है डॉ बी आर अंबेडकर की जयंती। डॉ बी आर अंबेडकर को दुनियाभर में लोग बाला साहेब के नाम से जानते हैं।उनका जन्म 1891 में  महूं में हुआ था, अब इसका नाम डॉ. आंबेडकर नगर है।भारत के मध्य प्रदेश राज्य के इंदौर जिले में स्थित है। उन्होंने दलितों के उत्थान के लिए बहुत लड़ाई लड़ी। भरात को जब स्वतंत्रता मिली, तो बी आर अंबेडकर को कानून मंत्री बनाया गया। वे पहले भारतीय थे, जिन्होंने डॉक्टरेट की उपाधि ली और मास्टर्स की डिग्री 64 विषयों में पूरी की। भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर को दुनिया वर्ल्ड क्लास वकील, दलित राजनेता और भारतीय संविधान के निर्माता के तौर पर जानते हैं। डॉ अंबेडकर को कुल 9 भाषाओं का ज्ञान था, इनमें हिंदी, पाली संस्कृत, इंग्लिश, जर्मन, फ्रैंच, मराठी, पारसी, गुजराती शामिल हैं। 

अगर मुझे लगा कि संविधान का दुरुपयोग किया जा रहा है, तो मैं इसे सबसे पहले जलाऊंगा।

जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता नहीं हासिल कर लेते, कानून आपको जो भी स्वतंत्रता देता है वो आपके लिए बेमानी है।

मैं एक समुदाय की प्रगति को उस डिग्री से मापता हूं जो महिलाओं ने हासिल की है।

जीवन लम्बा होने के बजाय महान होना चाहिए।

धर्म मनुष्य के लिए है न कि मनुष्य धर्म के लिए। मैं ऐसे धर्म को मानता हूं जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाता है।

अगर हम एक संयुक्त एकीकृत आधुनिक भारत चाहते हैं तो सभी धर्मों के शास्त्रों की संप्रभुता  का अंत होना चाहिए।  

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