इस टाप मेडिकल कालेज से कर सकते हैं सबसे सस्ते में MBBS की पढ़ाई, जानिए चार साल की कितनी है फीस
Admission In Cheapest Medical College: नीट प्रवेश परीक्षा का रिजल्ट जारी हो गया है। अच्छी रैंक हासिल करने वाले छात्र-छात्राएं देश के प्रतिष्ठित मेडिकल कालेजों में प्रवेश लेना चाहते हैं। छात्रों की पहली प्राथमिकता अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से एमबीबीएस की पढ़ाई करने की होती है।
HIGHLIGHTS
- 700 अंक लाने पर भी नहीं मिलेगा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में प्रवेश
- पिछले वर्ष अनारक्षित में 1200 रैंक वाले अभ्यर्थी का हुआ था एडमिशन
- महज 5,800 रुपये में हो जाती है चार वर्ष की एमबीबीएस की पढ़ाई
रायपुर। Admission in Cheapest Medical College: नीट प्रवेश परीक्षा का रिजल्ट जारी हो गया है। अच्छी रैंक हासिल करने वाले छात्र-छात्राएं देश के प्रतिष्ठित मेडिकल कालेजों में प्रवेश लेना चाहते हैं। छात्रों की पहली प्राथमिकता अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से एमबीबीएस की पढ़ाई करने की होती है। जानकारों का मानना है कि नीट परिणाम को देखते हुए लग रहा है कि इस बार 700 अंक लाने वाले अभ्यर्थी को भी रायपुर एम्स में प्रवेश नहीं मिलेगा।
पिछले वर्ष 1200 रैंक लाने वाले अभ्यर्थी को एम्स में प्रवेश मिला था। एम्स में सबसे अच्छी और सबसे सस्ती पढ़ाई होती है। एम्स रायपुर में प्रवेश लेने वाले एमबीबीएस छात्र-छात्राओं को 1289 रुपये वार्षिक फीस लगती है। वहीं साढ़े चार वर्ष की एमबीबीएस की पढ़ाई 5,800 रुपये में हो जाती है। वहीं शासकीय मेडिकल कालेज में एक वर्ष की फीस 40 हजार रुपये हैं।
Cheapest Medical College: वहीं निजी मेडिकल कालेजों में साढ़े सात से आठ लाख रुपये तक फीस लगती है। पूरे एमबीबीएस पढ़ाई की बात करें तो शासकीय मेडिकल कालेज में छात्रों को एक लाख 80 हजार रुपये देने पड़ते हैं। निजी मेडिकल कालेजों में 33.35 लाख से 35.95 लाख रुपये तक फीस लगती है।
केंद्रीय संस्थान होने के कारण बहुत ही कम फीस में छात्रों को पढ़ाया जाता है।यहां पर प्रवेश लेने वाले छात्रों को छात्रावास की सुविधा निश्शुल्क मिलती है। पिछले कुछ वर्षों से लगातार कटआफ में बढ़ोत्तरी हो रही है, लेकिन इस बार कुछ ज्यादा ही हो गई है। 720 अंक लाने के बाद भी एम्स दिल्ली में छात्रों को प्रवेश नहीं मिल पा रहा है। रिजल्ट आने के बाद से देशभर में विवाद छिड़ा हुआ है। अभ्यर्थी, अभिभावक, शिक्षक फिर से दोबारा नीट परीक्षा करवाने की मांग कर रहे हैं।
इस बार संभावित तिथि से 10 दिन पहले ही परिणाम आए गए, इस वजह से काउंसिलिंग की तिथि तय नहीं हो पाई थी। रिजल्ट आने की संभावित तिथि 14 जून थी, लेकिन परिणाम चार जून को ही घोषित कर दिए गए हैं। परिणाम घोषित होने के साथ ही अंकों को लेकर विवाद हो गया।
पहली बार एनटीए की तरफ से ग्रेस मार्क दिए गए है। इस वजह से अभ्यर्थियों को 718 और 719 अंक मिले हैं। ग्रेस मार्क देने के लिए क्या आधार बनाया गया। देशभर के छह परीक्षा केंद्रों के छात्रों को ग्रेस मार्क दिए गए हैं, जिसमें छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार और दंतेवाड़ा परीक्षा केंद्र शामिल है।
प्रदेश में एमबीबीएस की 1910 सीटें
प्रदेश में 10 शासकीय और तीन मेडिकल कालेज है। यहां पर 1910 एमबीबीएस की सीटें हैं। शासकीय कालेजों में 1460 और निजी कालेजों में 450 सीटें हैं।एम्स में भी 100 सीटें हैं। इसके अलावा तीन आयुर्वेद कालेज है। इनमें दो शासकीय और एक निजी है। यहां पर भी यूजी की कुल 430 सीटें हैं। प्रदेश में एक शासकीय और पांच निजी डेंटल कालेज है। इनमें बीडीएस की 600 सीटें हैं।इसी तरह बीएनवायएस और होम्योपैथी के यूजी में 50-50 सीटें निर्धारित है।