प्रारंभ हो चुकी है एकादशी तिथि, जानें क्या भक्तगण को प्रारंभ कर देना चाहिए व्रत
नई दिल्ली. हिंदू धर्म में होली के त्योहार से पहले आमलकी या रंगभरी एकादशी आती है। जिसका शास्त्रों में विशेष महत्व वर्णित है। हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी को रंगभरी या आमलकी एकादशी व्रत रखा जाता है। फाल्गुन शु्क्ल पक्ष की एकादशी इकलौती एकादशी ऐसी है जिसमें भगवान विष्णु के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा भी की जाती है। इस दिन बाबा विश्वनाथ का विशेष श्रृंगार किया जाता है। मान्यता है कि इस एकादशी के दिन ही भगवान शिव माता पार्वती के संग विवाह के बाद पहली बार काशी आए थे।
एकादशी हो चुकी है प्रारंभ?
रंगभरी एकादशी तिथि 02 मार्च को सुबह 06 बजकर 39 मिनट पर प्रारंभ होगी, जो कि 03 मार्च को सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार, रंगभरी एकादशी व्रत 03 मार्च 2023 को रखा जाएगा।
क्या एकादशी तिथि के प्रारंभ होने पर व्रत का पालन शुरू करना चाहिये?
एकादशी तिथि के प्रारंभ होने पर व्रत का पालन नहीं शुरू करना चाहिए। एकादशी व्रत के लिये तिथि के प्रारम्भ समय की आवश्यकता नहीं होती है। एकादशी का व्रत हमेशा सूर्योदय पर प्रारंभ होता है और अगले दिन सूर्योदय के बाद समाप्त होता है। एकादशी व्रत का पालन 24 घंटे के लिये किया जाता है यानी स्थानीय सूर्योदय के समय से अगले सूर्योदय तक।
एकादशी व्रत रखने वाले भक्त व्रत के एक दिन पूर्व शाम से सभी अनाजों का सेवन बंद कर देते हैं, ताकि अगले दिन सूर्योदय के समय व्रत प्रारंभ करते समय पेट में अन्न का कोई अवशेष न रहें। अर्थात भगवान विष्णु के कुछ भक्त अपनी भक्ति के अनुसार एकादशी के एक दिन पहले ही सूर्यास्त से व्रत प्रारंभ कर देते हैं।
बन रहे सौभाग्य व शोभन योग-
रंगभरी एकादशी के दिन सौभाग्य योग शाम 06 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। इसके बाद शोभन योग प्रारंभ हो जाएगा। मान्यता है कि सौभाग्य व शोभन योग में किए गए कार्यों में सफलता हासिल होती है।
रंगभरी या आमलकी एकादशी 2023 व्रत पारण का समय-
रंगभरी एकादशी व्रत का पारण 04 मार्च 2023 को किया जाएगा। इस दिन व्रत पारण का शुभ मुहू्र्त सुबह 06 बजकर 44 मिनट से सुबह 09 बजकर 03 मिनट है। पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय सुबह 11 बजकर 43 मिनट है।