MBBS न मिलने पर 40 छात्रों ने लिया था BDS में एडमिशन, एक साल के बाद बचे सिर्फ 7 स्टूडेंट

पटना डेंटल कॉलेज में नाम लिखाने और एक साल की पढ़ाई के बाद बड़ी संख्या में छात्र पढ़ाई छोड़ रहे है। बीडीएस पहले साल में यहां 40 छात्रों ने नाम लिखाया था। दूसरे साल में 33 छात्रों ने कॉलेज छोड़ दिया। अब दूसरे वर्ष में मात्र सात छात्र ही पढ़ाई कर रहे हैं। यही हाल बीडीएस तीसरे और चौथे वर्ष का भी है। पिछले कई वर्षों से कॉलेज की यही स्थिति है। पढ़नेवाले से ज्यादा पढ़ानेवाले शिक्ष्कों की संख्या यहां है।

दूसरी ओर प्रिंसिपल से लेकर लेक्चरर और ट्यूटर को मिला ले तो उनकी संख्या 40 से ज्यादा होगी। पिछले वर्ष कॉलेज छोड़कर दिल्ली के एक दूसरे डेंटल कॉलेज में नाम लिखा चुके छात्र ने बताया कॉलेज में छात्रों के लिए संसाधानों की घोर कमी है।

ना तो हॉस्टल की सुविधा है और ना ही कैंटीन की। यहां तक कि कई बार प्रैक्टिकल के लिए जरूरी उपकरणों और सामग्रियों की घोर कमी का सामना भी करना पड़ता है। दूसरी ओर कॉलेज की मान्यता को लेकर डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया की भी तलवार लटकी रहती है।

इसलिए आसानी से छोड़ देते हैं कॉलेज
कॉलेज के प्राचार्य डॉ. तनोज कुमार ने कहा कि कॉलेज में बॉण्ड का प्रावधान नहीं होने से छात्र कॉलेज छोड़ रहे हैं। कई बार कुछ नंबर से एमबीबीएस में नामांकन नहीं पाने से छात्र बीडीएस में नाम लिखवा लेते हैं। दूसरे वर्ष उन छात्रों का एमबीबीएस अथवा वेटेनरी में नाम लिखा जाता है तो बीडीएस को छोड़ देते हैं। बताया कि रांची के रिम्स के मेंटल शाखा में नाम लिखाकर बीच में पढ़ाई छोड़ने पर 15 लाख रुपये का आर्थिक दंड छात्रों पर लगता है। वहीं पटना के वेटेनरी कॉलेज में बॉण्ड की राशि तीन लाख रुपये है। बॉण्ड की राशि जमा करने के डर से वहां के बच्चे कॉलेज कम छोड़ते हैं।

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