राजधानी वासियों को सी-मार्ट से पूजा पाठ अन्य पवित्र अवसरों के लिए देशी गाय के गोबर उपलब्ध गोकुल नगर गौठान के स्व-सहायता समूह की आय का नया जरिया बना देशी गाय का गोबर

      रायपुर / दीपावली इस महीने की 24 तारीख़ को है इस अवसर पर पूजा-पाठ पवित्र संस्कार पांच दिन पहले से शुरू हो जाते है।शहरों में पूजा पाठ के लिए लिपाई करने या गौरी गणेश बनाने के साथ-साथ स्थान की पवित्रता सुनिश्चित करने के लिए देशी गाय के गोबर की उपलब्धता बड़ी समस्या होती है।हिन्दू धर्म में तीज त्योहारों में देशी गाय के गोबर के उपयोग का अपना अलग ही महत्व है। कांक्रीट के रेगिस्तान की तरह बढ़ते शहरों में दसी गाय का गोबर मिलना लोगों के लिए बेहद मशक्कत का काम होता है। कई बार ऐसे अवसरों पर दूर शहर के बहार के गांवो से गोबर ग्रामीणों से मांगकर लाना पड़ता है। इस दिवाली इस समस्याओं का रायपुर शहरवासियों को सामना नहीं करना पड़ेगा। रायपुर  नगर निगम क्षेत्र के गोकुल नगर गौठान की देशी  गायों का गोबर अब सी-मार्ट में लोगों को किफायती दामों पर उपलब्ध रहेगा। गोकुल नगर जोन 6 के गौठान में काम कर रही महिला स्व सहायता समूह की सदस्य देशी गाय के गोबर की आकर्षक पैकिंग कर रही है।  यहाँ लिपाई के लिए देशी गाय के गोबर में रंग मिलाकर उसे लाल पीला हरा और बैगनी रंग दिया जा रहा है। यह देशी गाय का गोबर 1 किलो के पैकेट्स में सी-मार्ट में लोगों के लिए उपलब्ध रहेगा। इसकी कीमत 10 रुपए प्रति पैकेट होगी।   

   स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष नीलम अग्रवाल बताती है कि पिछले साल लिपाई का गोबर मांगने बहुत से लोग आते थे,जिन्हे मुफ्त में गोबर दिया गया था। इसलिए इस वर्ष इसे महिलाओं के लिए आमदनी का नया जरिया बनाकर इसे गौठान में ही तैयार करके बेचने का निर्णय लिया गया है।   गौठान में 400 से अधिक देशी गाय है जिनसे हर रोज़ करीब 3 हजार किलो गोबर मिलता है इस गोबर का उपयोग करके यहाँ कई प्रकार के उत्पाद बनाए जाते है। जिसमे देशी गाय के गोबर से, लकड़ी,कंडे,धुप, हवन सामग्री,खाद, सूटकेस,चप्पल,गुलाल,मूर्तियां,पेंटिंग, गमले,टाइल्स,जैसी 31 प्रकार  की अलग-अलग सामग्रियाँ बनाई जाती है। दीपावली से पहले तीन टन लिपाई का गोबर तैयार करने का लक्ष्य महिला समूह द्वारा रखा गया है। जिसे सी-मार्ट के माध्यम से बेचा जाएगा।  

 छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना ‘नरवा,गरूवा,घुरूवा बाड़ी' के अंतर्गत जिले के गोकुल नगर,जोन 6 में 2.5 एकड़ में गौठान का निर्माण किया गया है। यहां गोबर बेचा नहीं जाता बल्कि इससे कई प्रकार की  सामग्री बनाने का काम महिला स्व सहायता समूह द्वारा किया जाता है। इन उत्पादों की बिक्री से गौठान को सालाना 30 लाख की आमदनी होती है।महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त बन रही है किसी पर निर्भर भी नहीं है। 

यहाँ के उत्पाद बनाते है इस गौठान को खास

 स्व सहायता समूह में 13 महिलाएं काम करती है,जो गोवंश के देखभाल के साथ-साथ गोबर से  विभिन्न उत्पाद बनाती है। गौठान में ऐसे कई उत्पाद है जो दुनिया में पहली बार बने है जिनमे गोबर की चप्पल, सूटकेस, घड़ियाँ, पेंटिंग्स जैसी सामग्रियां शामिल हैं। इन उत्पादों के कारण न केवल यहां की महिलाओं को ख़ास पहचान मिली बल्कि अपने हुनर की वजह से उन्हें विभिन्न मंचों पर सम्मानित भी किया गया है।महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हुई है साथ ही प्रदेश भर की महिलाओं के लिए प्रेरणा बन रही है।राज्य शासन गौठानों से आय बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है।जिससे इन महिलाओं के साथ साथ प्रदेश भर की महिलाओं के प्रयासों को बल मिल रहा है।इसी बल के कारण महिलाएं न केवल अपने हुनर को निखार कर अपने लिए आय का श्रोत बना रही है बल्कि देश भर की महिलाओं के लिए मिसाल भी बन रही है।

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