क्या आपको पता है पिता के मृत्यु के बाद किस प्रकार की जाती है संपत्ति का बंटवारा भारत सरकार ने बनाए हैं इसके कई नियम ,, जाने इसके बारे में
सभी घरों में पिता की मृत्यु पश्चात बटवारे का बात जरूर होता है. इस बंटवारे के दौरान कई बार कई बड़े विवाद सामने आते हैं. यदि घर के मुखिया स्वर्गवास से पूर्व ही वसीयत तैयार किए होते हैं तो उस स्थिति में विवाद होने की संभावना ना के बराबर होती है. इन दिनों भाई- भाई में विवाद का यह बड़ा कारण माना जा रहा है. लेकिन क्या आपको पता है कि इसके लिए भी कई नियम बनाए गए हैं जिससे इन विवादों से बचा जा सके.
बनाई गई है वसीयत तो नहीं होगा विवाद :
परिवार के मुखिया या पिता ने देहांत से पहले ही वसीयत बनाकर तैयार की है और संपत्ति का उचित बंटवारा किया है तो विवाद की स्थिति पैदा नहीं होती है. वसीयत के तहत पिता या परिवार का मुखिया कानूनी तौर पर अपनी संपत्ति को अपने बच्चों या अन्य किसी भी प्रिय को सौंपता है.
जिसमें उन लोगों के नाम दर्ज होते हैं जिन्हे संपत्ति का हस्तांतरण किया जाएगा. इसके लिए परिवार के मुखिया या पिता के द्वारा पेशेवर की मदद ली जाती है. जो कि संपत्ति के बंटवारे में भूमिका निभाता है.
विरासत के आधार पर बंटती है संपत्ति :
ऐसा भी होता है कि संपत्ति के मालिक पिता या परिवार के मुखिया का देहांत हो जाए और उन्होंने संपत्ति के बंटवारे से संबंधित कागजी कार्य नहीं किया हो. ऐसे में संपत्ति का बंटवारा उत्तराधिकार के कानून के अनुसार किया जाता है.
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम,1956 :
इसके तहत अगर संपत्ति के मालिक पिता या परिवार के मुखिया की मृत्यु बिना वसीयत बनाए हो जाती है तो उस संपत्ति को इस अधिनियम की कक्षा-1 के उत्तराधिकारियों दिया जाता है. कक्षा 1 में उल्लेखित उत्तराधिकारियों के ना होने की स्थिति में अधिनियम में उल्लेखित कक्षा 2 के वारिस को दिए जाने का प्रावधान है.
हालांकि संपत्ति बंटवारे को कई कानूनी उलझनें होती हैं ऐसे में किसी पेशेवर की मदद लेना बेहतर होता है. यहां यह बता देना जरूरी है कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के अंतर्गत हिंदू धर्म और उसके कई संप्रदा ofयों सहित बौद्ध,जैन और सिख भी शामिल होते हैं
मुस्लिम कानून के तहत संपत्ति का बंटवारा :
मुस्लिम कानून में संपत्ति को लेकर अपने अलग नियम और परंपराएं हैं. मुस्लिम कानून में पैतृक संपत्ति की अवधारणा नहीं है. मुस्लिम कानून दो प्रकार के उत्तराधिकारियों, हिस्सेदारों और अन्य को संपत्ति के हकदारों के रूप में पहचाना है.
इस्लामी कानून के हिसाब से संपत्ति के बंटवारे के कई नियम हैं. यह भारत में वसीयत संबंधी नियमों-कानूनों के जरिए प्रबंधित होते हैं. आइए संपत्ति बंटवारे से संबंधित मुस्लिम कानूनों के खास प्रावधानों को देखते हैं-
इस्लामिक कानून के अनुसार विधवा को संपत्ति का एक निश्चित हिस्सा दिया जाता है.
मुस्लिम कानून में महिलाओं की तुलना में पुरुषों को संपत्ति में अधिक वरीयता दी गई है.इसके तहत वारिस पुरुष को महिला या बेटी से दोगुनी संपत्ति दिए जाने का प्रावधान है.
इसके अनुसार मुस्लिम पत्नी को उस स्थिति में भी बेदखल नहीं किया जा सकता है जब एक से अधिक पत्नी होने पर भी उसे अन्य पत्नियों के साथ साझा करना पड़े।