मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बनाने की गतिविधियों पर पैनी नजर

नई दिल्ली.  देश की सुरक्षा एजेंसियां इन दिनों हाई अलर्ट पर हैं। दरअसल, इस्लामिक स्टेट और अल-कायदा जैसे आतंकी संगठन भारत के भीतर और बाहर मुस्लिमों को कट्टरपंथी बनाने में लगे हुए हैं। इनका टारगेट ईश निंदा के नाम पर देश में हमलों को अंजाम देना है। भारतीय सिक्योरिटी एजेंसियां इन्हें रोकने के प्रयास में अकेली नहीं हैं बल्कि अमेरिका, जॉर्डन, रूस, यूएई और सउदी अरब जैसे कई मित्र देश साथ हैं। साइबर स्पेस में इस्लामिक कट्टरपंथियों के फूटप्रिंट और अन्य जरूरी सूचनाएं नई दिल्ली के साथ शेयर की जा रही हैं।

दरअसल, रूस की संघीय सुरक्षा एजेंसी (FSB) ने सोमवार को कहा था कि उसने एक मध्य एशियाई देश के रहने वाले इस्लामिक स्टेट के आतंकवादी को पकड़ा है। इसने पैगंबर मोहम्मद के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने को लेकर शीर्ष भारतीय नेतृत्व के एक सदस्य पर आत्मघाती हमले की साजिश को अंजाम देने के लिए विशेष प्रशिक्षण लिया था। एफएसबी ने कहा कि प्रतिबंधित इस्लामिक स्टेट के एक सरगना ने इस साल अप्रैल से जून के बीच तुर्की में प्रवास के दौरान विदेशी नागरिक को आत्मघाती हमलावर के तौर पर समूह में भर्ती किया था।

एक और किर्गिस नागरिक को दी गई ट्रेनिंग
आईएस के आत्मघाती हमलावर मशरबकोन आजमोव को हिरासत में लेने के बाद पूछताछ में कई अहम खुलासे हुए हैं। जांच से पता चला है कि किर्गिस्तान के एक और नागरिक को हिरासत में लिए गए उज्बेक शख्स के साथ ट्रेनिंग दी। यह ट्रेनिंग भारत को निशाना बनाने के लिए तुर्की में इस्लामवादियों की ओर से दी गई।

भारत ने रूस को भेजी सवालों की लिस्ट
किर्गिज नागरिक मॉस्को से होते हुए अपने देश लौट गया। दोनों हमलावर इसी रास्ते से भारत जाने वाले थे। वहीं, भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को अभी भी 30 वर्षीय आजमोव की पूछताछ रिपोर्ट का इंतजार है। उन्होंने अपने रूसी समकक्षों को विशेष प्रश्नों की लिस्ट भेजी है ताकि हमलावर से उसी तर्ज पर पूछताछ की जा सके। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां ​​जांच में शामिल होने की इजाजत लेने के लिए उज्बेक और किर्गिज समकक्षों के संपर्क में हैं।

पैगंबर के अपमान के नाम पर हमले करना मकसद 
बीते दो महीने से अधिक समय से एसोसिएट इंटेलिजेंस एजेंसियां भारतीय समकक्षों को लगातार अलर्ट करती रही हैं। इसमें पैगंबर के अपमान को लेकर भारत को निशाना बनाने के लिए पैन-इस्लामिक आतंकवादी समूहों के भीतर बेचैनी की बात कही गई है। मुस्लिम ब्रदरहूड जैसे संगठनों की जड़ें तुर्की, कुवैत और कतर में काफी मजबूत हैं। ये संगठन ‘भारत को पाठ पढ़ाने’ का हवाला देकर लगातार मुसलमानों को उकसाने का काम कर रहे हैं। वहीं, इस्लामिक स्टेट ऑफ खुरासान प्रांत के पाकिस्तानी कैडरों का इस्तेमाल रावलपिंडी की ओर से भारतीय रंगरूटों के जरिए नई दिल्ली को निशाना बनाने के लिए हो रहा है।

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