फ्लोर टेस्ट से गायब क्यों रहे MVA के 11 MLAs, कारण जानकर Congress की उड़ी नींद

जयपुर. आखिर भाजपा ने इस बार महाराष्ट्र में सभी कथित मराठा क्षत्रपों को एक साथ पटखनी दे दी है। 4 जुलाई को महाराष्ट्र के नए सीएम एकनाथ शिंदे ने एक और अग्निपरीक्षा पास करते हुए विधानसभा में भी बहुमत परीक्षण पास कर लिया है। सोमवार को हुए फ्लोर टेस्ट में एकनाथ शिंदे को 164 वोट मिले हैं। हालांकि इस दौरान विपक्ष के कई विधायक वोट नहीं डाल पाए जिनमें राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण भी शामिल हैं। बताया जा रहा है कि करीब 11 विधायक विधानसभा पहुंचते समय ट्रैफिक में फंस गए थे।

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण भी नहीं पहुंच सके विधानसभा
दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण (Ex CM Ashok Chavhan) सहित 11 कांग्रेस विधायकों के सोमवार को हुए फ्लोर टेस्ट में वोट डालने में विफल रहने के बाद पार्टी के कुछ नेताओं ने चिंता जताई। इतना ही नहीं मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नेताओं ने इसे उनकी लापरवाही बताया है। हालांकि दूसरी तरफ अशोक चव्हाण ने बताया की वे ट्रैफिक में फंस गए थे। चव्हाण ने कहा कि हमें दो या तीन मिनट की देरी हुई और गेट बंद कर दिए।
एमवीए के विधायक ही क्यों हुए लेट 

अशोक चव्हाण के अलावा जिन लोगों ने वोट नहीं डाला उनमें प्रणति शिंदे, जितेश अंतापुरकर, विजय वड्डेतिवार, जीशान सिद्दीकी, धीरज देशमुख, कुणाल पाटिल, राजू आवाले, मोहन हम्बर्दे, शिरीष चौधरी और माधवराव जावलगांवकर शामिल हैं। महाराष्ट्र कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि उनकी अनुपस्थिति से यह चर्चा शुरू हो गई थी कि उनमें से कुछ अन्य दलों के संपर्क में हो सकते हैं। विधायकों के इस समूह द्वारा यह व्यवहार बहुत चौंकाने वाला है। यह उनकी लापरवाही को दर्शाता है। आखिर लेट कैसे हुए, यह सवाल पूछा जा रहा है। सभी लेट आने वाले विधायक एमवीए के ही क्यों रहे, यह सवाल पूछा जा रहा है।

गंभीरता से नहीं लिया गया फ्लोर टेस्ट
हालांकि महाराष्ट्र के प्रभारी AICC सचिव एच के पाटिल ने कहा कि आठ विधायक देर से आए और लॉबी में इंतजार करने लगे। वे बारिश और यातायात में फंस गए होंगे। कभी-कभी ऐसा हो जाता है। वहीं एक अन्य वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने बताया कि फ्लोर टेस्ट के दौरान सही से तैयारी नहीं की गई यहां तक कि सदस्यों की उपस्थिति की निगरानी करने वाला भी कोई नहीं था।
मतदान बिना बहस के ही करवा दिया गया
बांद्रा के विधायक सिद्दीकी ने कहा कि हमने सोचा था कि पहले बहस होगी और फिर मतदान होगा लेकिन मतदान पहले शुरू हुआ। कोई मीटिंग नहीं हुई थी और हमें 11 बजे पहुंचने के लिए कहा गया। ट्रैफिक की वजह से मैं भी देरी से पहुंचा और हम लॉबी में थे। हमने स्पीकर को हमें अंदर जाने की अनुमति देने के लिए एक नोट भेजा लेकिन हमें कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। इसके अलावा प्रणति शिंदे ने भी वोट नहीं डाला। प्रणति सुशील शिंदे की बेटी हैं।
164 विधायकों ने डाला पक्ष में वोट
बता दें कि एकनाथ शिंदे को बहुमत साबित करने के लिए विधायकों के 144 मत चाहिए थे। पहले फ्लोर टेस्ट ध्वनि मत के जरिए होना था, लेकिन विपक्ष के हंगामे के चलते नहीं हो पाया। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने हेड काउंट के जरिए मतदान कराया। इसमें विधानसभा के एक-एक सदस्य से पूछा गया कि वह किसके साथ हैं? इस वोटिंग में एकनाथ शिंदे के पक्ष में 164 विधायकों ने वोट डाला। विपक्ष में केवल 99 वोट ही पड़े।

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