फिनलैंड और स्वीडन के नाटो में शामिल होने का रास्ता साफ, तुर्की ने दी सहमति?
नई दिल्ली. स्वीडन और फिनलैंड को नाटो में शामिल होने का विरोध कर रहा तुर्की अब मान गया है। तीनों देशों के टॉप नेताओं से बातचीत के बाद नाटो गठबंधन के सेक्रेटरी जनरल जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने कहा है कि अब तीनों देशों के बीच एक समझौता हो गया है जो कि फिनलैंड और स्वीडन को नाटो में शामिल होने का मार्ग प्रशस्त करता है। उन्होंने इसे ऐतिहासिक फैसला करार दिया है।
स्वीडन और फिनलैंड नाटो से क्यों जुड़ना चाहते हैं?
यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद स्वीडन और फिनलैंड जैसे देश गुटनिरपेक्ष स्थिति को छोड़कर नाटो से जुड़ने के लिए मजबूर हुए हैं। बता दें कि फिनलैंड रूस के साथ एक लंबी सीमा साझा करता है। नाटो संधि के तहत किसी भी सदस्य देश पर हमले को सभी सदस्य देशों के खिलाफ हमला माना जाएगा और पूरे गठबंधन द्वारा हमले का जवाब दिया जाएगा।
तुर्की क्यों फिनलैंड और स्वीडन के विरोध में था?
नाटो सर्वसम्मति से संचालित होता है। चूंकि तुर्की फिनलैंड और स्वीडन के नाटो में शामिल होने को लेकर विरोध में था। ऐसे में तुर्की की सहमति के बिना ये दोनों देश नाटो सदस्य नहीं बन सकते थे। तुर्की ने कहा था कि फिनलैंड और स्वीडन जैसे देश कुर्द विद्रोही समूहों को लेकर अपना रुख बदलते हैं जिन्हें तुर्की आतंकी मानता है। हफ्ते भर से अधिक से बातचीत के बाद तीनों देश एक संयुक्त समझौते पर पहुंचे हैं। तुर्की ने कहा है कि हम विद्रोही समूहों के खिलाफ लड़ाई में पूर्ण सहयोग चाहते थे, जो हमें मिला है।
तुर्की के शर्त मानने को तैयार हैं फिनलैंड और स्वीडन?
तुर्की ने कहा है कि दोनों देश कुर्दिस्तान विद्रोह संबंधित समूहों पर ठोस कदम उठाने पर सहमत हुए हैं। दोनों देशों ने आतंकी प्रत्यर्पण पर भी ठोस कदम उठाएंगे। तुर्की ने लगातार कहा है कि हम चाहते हैं कि फिनलैंड और स्वीडन वांछित व्यक्तियों को प्रत्यर्पित करें और उत्तर-पूर्वी सीरिया में तुर्की की 2019 की सैन्य घुसपैठ के बाद लगाए गए हथियारों पर प्रतिबंध हटा दे।