बिलासपुर जिले ही नहीं संभाग की जरूरतों को पूरी करता है तिफरा फल व सब्जी मंडी

बाजार का इतिहास तिफरा स्थित सब्जी मंडी का इतिहास तो कुछ ही वर्षों पुराना है, लेकिन इससे जुड़े व्यापारथ्यों के परिवार पिछले 50 से अधिक वर्षों से थोक सब्जी और फल व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। नवंबर 2014 में जब तत्कालीन मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने इस मंडी का लोकार्पण किया, तब जैसे पूरे शहर के थोक व्यापारियों को एक नया आश्रय मिल गया।

HIGHLIGHTS

  1. शहर के थोक सब्जी और फल व्यापारी अलग-अलग क्षेत्रों में अपना व्यवसाय कर रहे थे।
  2. तिफरा सब्जी के खुलते ही सभी व्यापारियों ने अपना कारोबार यहां स्थानांतरित कर लिया।
  3. करीब तीन हज़ार छोटे से लेकर मध्यम और बड़े सब्जी और फल व्यापारी हर दिन पहुंचते है।

बिलासपुर। बिलासपुर की थोक फल एवं सब्जी मंडी तिफरा पिछले 10 वर्षों से हज़ारों श्रमिकों की आजीविका का प्रमुख केंद्र बन चुकी है। इससे पहले शहर के थोक सब्जी और फल व्यापारी अलग-अलग क्षेत्रों में अपना व्यवसाय कर रहे थे, लेकिन मंडी के खुलते ही सभी व्यापारियों ने अपना कारोबार यहां स्थानांतरित कर लिया।

क्षेत्रफल के हिसाब से यह मंडी संभाग की सबसे बड़ी और व्यावसायिक दृष्टि से राज्य की दूसरी सबसे बड़ी मंडी मानी जाती है, जिससे प्रतिदिन सैकड़ों व्यापारियों और श्रमिकों को रोजगार प्राप्त हो रहा है। यह तिफरा सब्जी मंडी सालभर में करीब 400 करोड़ का राजस्व पैदा करती है। यहां करीब तीन हज़ार छोटे से लेकर मध्यम और बड़े सब्जी और फल व्यापारी हर दिन पहुंचते है।
लोकार्पण के एक हफ्ते के भीतर ही बुधवारी, चांटीडीह, रपटा चौक और व्यापार विहार के थोक व्यापारी यहां अपना व्यवसाय लेकर आ गए। आज यह मंडी केवल एक व्यापारिक केंद्र नहीं, बल्कि उन सैकड़ों मेहनती व्यापारियों की रोज़ी-रोटी का स्थान है जो सुबह तीन बजे से ही शहर के अलग-अलग कोनों से उठकर यहां आते हैं और अपनी रोजी के लिए परिश्रम करते हैं।
बाजार की प्रमुख समस्याएं
1. पानी निकासी की कमीतिफरा सब्जी मंडी का क्षेत्रफल राज्य की सबसे बड़ी मंडी के रूप में जाना जाता है, लेकिन यहां पानी निकासी की समस्या अब तक सुलझ नहीं पाई है। नालियों का निर्माण नहीं होने के कारण, बरसात के दिनों में मंडी के विभिन्न हिस्सों में जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। व्यापारियों और श्रमिकों को इस दौरान भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है । इससे रोजमर्रा का काम संघर्षपूर्ण हो जाता है और फल-सब्जियों के खराब होने की भी आशंका बढ़ जाती है। यह समस्या लंबे समय से जारी है, लेकिन अब तक इसे हल करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
2. सड़कों की दुर्दशामंडी की स्थापना के समय रायपुर रोड मुख्य मार्ग से थोक मंडी तक आने वाली सड़क पर यातायात का दबाव कम था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में शहर के अन्य निर्माण कार्यों के चलते इस मार्ग पर ट्रैफिक काफी बढ़ गया है। सड़क की खस्ताहालत के कारण व्यापारियों और वाहनों को मंडी तक पहुंचने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। पूर्व भाजपा सरकार द्वारा एक अतिरिक्त सड़क बनाने की बात कही गई थी अगर इस सड़क का निर्माण होता है तो सुविधा मे बढ़ोतरी होगी। बेहतर सड़कों का निर्माण होने से व्यापारियों और ग्राहकों को राहत मिल सकती है और मंडी की व्यापारिक गतिविधियों में अधिक तेजी आएगी।

पदाधिकारियों के वर्जन

1. बिजली की समस्या

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2. असामाजिक तत्वों से मिले छुटकारा

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3. लोगों के आजीविका कमाने का केंद्र

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वर्जन्-

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बाजार से जुड़ा डाटा

  • 1 करोड़ का व्यापार प्रतिदिन
  • 150 कुल व्यापारी
  • 83 सब्जी व्यापारी
  • 23 फल व्यापारी
  • 44 आलू-प्याज व्यापारी

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