Raipur: वाट्सएप पर शातिर ने लगाई कंपनी के डायरेक्टर की फोटो, एक घंटे में ठग लिए 55 लाख 55 हजार रुपये
रायपुर। Raipur Crime News: राजधानी रायपुर में डीवी प्रोजेक्ट लिमिटेड कंपनी के डायरेक्टर की फोटो वाट्सएप में लगाकर सीएफओ से लाखों की ठगी का मामला सामने आया है। डग ने इमरजेंसी बताकर ठगी की वारदात की है। अज्ञात ठग ने दो बार में 55 लाख 55 हजार 311 रुपये की ठगी की है। ठग ने महज एक घंटे में इस वारदात को अंजाम दिया। तेलीबांधा थाना पुलिस ने अज्ञात ठग के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
मैसेज में कहा गया कि 25 लाख 90 हजार 609 रुपये अमन कुमार शर्मा के एकाउंट में आरटीजीएस के माध्यम से पैसे का भुगतान करने का निर्देश दिया गया। प्रार्थी ने पहले पैसे का भुगतान नहीं किया तो बार-बार मैसेज कर दवाब बनाया जाने लगा। इसके बाद कंपनी के लैंडलाइन नंबर पर एक फोन आया और उसमें कहा गया कि सीएफओ को बोल दिया जाए कि मैसेज पर तत्काल कार्रवाई करें।
यह भी कहा गया कि सतीश से फोन पर बात नहीं हो पा रही है। डायरेक्टर व्यस्त हैं, तत्काल कार्रवाई की जाए। जिसके बाद बताए गए अकाउंट पर पहली किस्त में अमन कुमार के खाते में 25 लाख 90 हजार 609 रुपये आरटीजीएस के माध्यम से खाते में डाल दिए गए। इसके बाद सैफुल हुसैन के खाते में 29 लाख 64 हजार 720 रुपये डाल दिए गए।
जब मालिक से पूछा तब पता चला कि ठगी हुई
इस बात की जानकारी दूसरे दिन जब सतीश ने डायरेक्टर दिनेश कुमार पटेल से बात कर दी तो उन्होंने मनाकर दिया। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा किसी को भुगतान करने के लिए नहीं कहा गया। इसके बाद ठगी का एहसास होने पर थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई गई।
पूर्व में भी हाे चुकी है ठगी और प्रयास
इससे पहले भी रायपुर में ठगी के ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। सिविल लाइन थाना क्षेत्र में नूडल्स कंपनी के डायरेक्टर की फोटो वाट्सएप में लगाकर मैनेजर से लाखों की ठगी की गई थी। गिफ्ट कार्ड भेजने के नाम पर अज्ञात ठग ने चार लाख 60 हजार रुपये ठग लिए थे। इसके अलावा वंदना ग्लोबल लिमिटेड सिलतरा में एमडी की तस्वीर अपने वाट्सएप की डीपी पर लगाकर शातिर ठग ने कंपनी में कार्यरत वाइस प्रेसिडेंट (डवलपमेंट) को वाट्सएप पर वाइस काल किया।
इसके बाद अमेजन के ई-वाउचर को लिंक पर भेजने का झांसा देकर साढे पांच लाख रुपये ठग लिए गए। इसमें दो आरोपितों को गिरफ्तार किया था। वहीं ठग मंत्री और अधिकारियों के नाम से ठगी का प्रयास कर चुके हैं। जिसमें आइएएस और आइपीएस अधिकारियों ने ठगी की शिकायत की थी।
इंटरनेट से निकालते हैं जानकारी
आरोपित बड़ी-बड़ी कंपनियों के डायरेक्टरों की फोटो इंटरनेट से निकालते हैं। वेबसाइट के जरिए पूरी डिटेल जुटाते हैं। उसमें नंबर भी होता है। यहां तक कि मैनेजर का नंबर रहा है। ऐसे में ठग आसानी से मैनेजर को अपने जाल में फंसाते हैं। मैनेजर डायरेक्टर की बात नहीं काटते और ठग के कहे अनुसार पैसे पेमेंट कर देते हैं।