Cyber Fraud: साइबर ठगों का खेल हुआ बेनकाब, 4 महीने में शेयर ट्रेडिंग से वर्क फ्रॉम होम के जरिए ठगे 400 करोड़
रायपुर की साइबर पुलिस ने चार महीने की जांच में ठगी के 37 मामलों का खुलासा करते हुए 250 बैंक खातों की पहचान की, जिनसे 400 करोड़ रुपये की ठगी हुई थी। देशभर से 28 साइबर ठग गिरफ्तार किए गए हैं, जिनके खिलाफ 30 राज्यों में 7900 से ज्यादा मामले दर्ज हैं। पुलिस ने 4 करोड़ रुपये की रकम होल्ड की, साथ ही 2 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की।
HIGHLIGHTS
- 4 महीनों में ठगी के 37 मामलों में 400 करोड़ रुपये के फ्रॉड का पता लगा।
- 28 साइबर ठग हुए गिरफ्तार, जिनके खिलाफ 7900 से ज्यादा मामले दर्ज।
- चार करोड़ रूपये बैंक खातों में कराया होल्ड, दो करोड़ की संपत्ति जब्त।
रायपुर। रेंज साइबर पुलिस ने बीते चार महीनों में की गई जांच के दौरान ठगी के 37 मामलों में बड़ा खुलासा किया है। जांच के दौरान साइबर ठगों के 250 बैंक खातों का पता चला है, जिनके जरिए देशभर में 400 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की गई। इन मामलों में अब तक 28 साइबर ठगों को अलग-अलग राज्यों से गिरफ्तार किया गया है।
बड़े पैमाने पर साइबर अपराध का खुलासा
रेंज आईजी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, गिरफ्तार किए गए 28 आरोपियों पर छत्तीसगढ़ समेत 30 राज्यों में 7900 से अधिक साइबर ठगी की एफआईआर दर्ज हैं। जांच के दौरान 1500 से अधिक सिम कार्ड और 250 मोबाइल फोन को ब्लॉक किया गया है। इसके अलावा, ठगों द्वारा बैंक खातों में जमा किए गए 4 करोड़ रुपये को होल्ड कराया गया, और 2 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त की गई है।
शेयर ट्रेडिंग और डिजिटल अरेस्ट के मामलों में सबसे ज्यादा ठगी
साइबर अपराधों से बचाव के लिए रेंज में लगातार जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। इन अभियानों में लोगों को साइबर अपराधियों के झांसे में न आने की सलाह दी जा रही है। दर्ज अपराधों में सबसे अधिक मामले शेयर ट्रेडिंग के फर्जी ऐप्स, डिजिटल अरेस्ट के नाम पर ठगी, गूगल रिव्यू के बदले पैसे कमाने का झांसा और वर्क फ्रॉम होम के बहाने ठगी के सामने आ रहे हैं। अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि शेयर ट्रेडिंग के फर्जी ऐप्स से बचने के लिए अधिक लाभ के लालच में न पड़ें।
डिजिटल अरेस्ट: कानून में कोई प्रावधान नहीं, साइबर ठगी का नया हथकंडा
साइबर अधिकारियों ने बताया कि “डिजिटल अरेस्ट” नाम की कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं है। किसी भी सरकारी एजेंसी द्वारा फोन पर धमकी देना, वीडियो कॉल पर पूछताछ करना या पैसा मांगना पूरी तरह से फर्जी है। अगर आपको ऐसी कोई कॉल आती है, तो समझें कि कुछ गड़बड़ है। इसके अलावा, गूगल में रिव्यू लिखने के नाम पर भी साइबर ठग लोगों को झांसे में लेकर ठगी कर रहे हैं, जिससे सतर्क रहने की आवश्यकता है।
वर्क फ्रॉम होम के नाम पर भी हो रही है ठगी
वर्क फ्रॉम होम के बहाने भी ठग सक्रिय हैं। वे घर बैठे पेंसिल पैकिंग या पीडीएफ को वर्ड में कन्वर्ट करने जैसे काम देने का झांसा देते हैं। काम पूरा करने के बाद, वे छोटी-छोटी गलतियों का हवाला देकर पेनल्टी लगाने और पैसे मांगने लगते हैं। अगर पैसे नहीं दिए तो फर्जी कोर्ट केस का डर दिखाया जाता है, जिससे लोग डरकर ठगों को पैसे दे देते हैं। अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि किसी भी लालच में न फंसें और डरकर पैसे न दें, क्योंकि घर बैठे पैसे कमाने का ऐसा कोई अवसर वास्तविक नहीं होता।
शिकायत दर्ज करने के लिए निर्देश
अगर आप किसी भी प्रकार के साइबर अपराध का शिकार हो जाते हैं, तो तुरंत नजदीकी पुलिस थाने में जाकर एफआईआर दर्ज कराएं। रेंज आईजी अमरेश मिश्रा ने सभी एसपी और थाना प्रभारियों को निर्देश दिया है कि साइबर अपराध की शिकायत मिलने पर तुरंत एफआईआर दर्ज करें और केस डायरी को रेंज साइबर थाने में भेजें। अगर किसी पीड़ित की एफआईआर दर्ज नहीं की जाती, तो वह सीधे आईजी कार्यालय में शिकायत कर सकता है। दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।