मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट तैयार, चार जिले को मिलेगा लाभ,राजस्व के साथ पर्यावरण में रहेगा सहायक
2019 में बायो मेडिकल वेस्ट प्लांट की स्वीकृति मिली थी। कोविड के बाद से प्लांट लगाने की योजना बनाई गई। फिर जमीन की तलाश की गई। शहर से 25 किमी दूर पूंजीपथरा में खसरा नंबर 116/7 में एक एकड़ क्षेत्र में यह प्लांट स्थापित किया गया है।जिसमें जंगल व समतलीकरण में काफी समय लग गया। इसके बाद कोविड- 19 का दौर आया यह दौर भी कार्य को प्रभावित कर दिया।
HIGHLIGHTS
- पूंजीपथरा क्षेत्र के एक एकड़ भूमि में प्लांट स्थापित।
- ठेका कंपनी ने हेंडओवर के लिए कंपनी ने लिखा पत्र।
- डोर टू डोर बायो मेडिकल वेस्ट कंपनी करेगी एकत्रित।
रायगढ़। शहर में अस्पतालों व क्लीनिक से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट को डिस्पोज करने के लिए शहर से 25 किमी दूर पूंजीपथरा में 3 करोड़ 75 लाख रुपये से चार मीट्रिक टन क्षमता वाले संयुक्त जैविक अपशिष्ट उपचार प्लांट बनकर तैयार है। जिसका लाभ अब प्रदेश के चार जिले रायगढ़, सारंगढ, जांजगीर-चांपा के साथ सक्ती के मेडिकल वेस्ट निष्पादन में मिलेगा साथ ही प्लास्टिक रीसाइक्लिंग कर राजस्व प्राप्त भी होगा। ऐसे में निर्माण पूर्ण होने पर ठेका कंपनी ने संबंधित विभाग के अधिकारियों को पत्र लिखकर हैंड ओव्हर की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया है।
सभी बाधाओं और चुनौतियों को पूर्ण किया
पर्यावरण प्रदूषण को लेकर प्रत्यक्ष तौर कई स्तर में कई कारक प्रभावित करते है। इसमे बायोमेडिकल वेस्ट भी बड़ी भूमिका में रहता है। इसे देखते हुए एनजीटी के निर्देश के बाद शहर में कहीं भी कचरा व बायो मेडिकल वेस्ट डंपिंग पाइंट करने पर प्रतिबंधित किया है। इसे देखते हुए तत्कालीन शासन ने बायो मेडिकल वेस्ट के लिए ट्रीटमेंट प्लांट को स्वीकृति प्रदान किए। वहीं टाउन एंड कंट्री प्लान से प्लांट स्थापित करने का पूरी कार्ययोजना बनाया गया। नक्शा पास हुआ है। टेंडर प्रक्रिया को पूरा की गई। तत्पश्चात यह प्लांट का काम 2019 में वीएम टेक्नोसाफ्ट को दिया गया। इसके बाद चार मीट्रिक टन की क्षमता वाले प्लांट का निर्माण तेज गति से शुरू हुआ और सभी बाधाओं और चुनौतियों को पूर्ण किया।
डोर-टू-डोर कलेक्शन
जानकारी के अनुसार आने वाले दिनों में यानी हैंड ओव्हर के बाद डोर-टू-डोर कलेक्शन के साथ बायो मेडिकल वेस्ट का निपटारा किया जाएगा। जिसमे उक्त वेस्ट को अत्यधिक तापमान क्षमता के (हाई टेम्परेचर) मशीन पर नष्ट कर ऐश (राख) बना दिया जाएगा। इससे अस्पतालों से निकलने वाले कचरे का सही निराकरण हो सकेगा। इसके साथ ही प्लांट आने वाले प्लास्टिक को रिसाइक्लिंग कंपनी में बिक्री किया जाएगा। इससे आमदनी के तौर पर राजस्व एवं पर्यावरण प्रदूषण पर लगाम के साथ संरक्षण में महती भूमिका रहेगी।
रायगढ़ के साथ सारंगढ, जशपुर, सक्ती को भी मिलेगा लाभ
शहर से रोजाना एक टन मेडिकल वेस्ट निकलता है। इसे पहले ट्रांसपोर्ट नगर सारंगढ़ बस स्टैंड में डंपिंग यार्ड में फेंक रहे हैं। इसका पूरा निष्पादित उक्त प्लांट में होगा। इसके अलावा रायगढ़ सहित सारंगढ़, जशपुर के अलावा, सक्ती जिले के हास्पिटल से भी मेडिकल वेस्ट पहुंचने की बात कही जा रहा है। हालांकि वर्तमान दो जिले का वेस्ट आना तय बताया जा रहा है। इसके लिए डोर-टू-डोर कलेक्शन होगा। परिवहन की भरपाई प्लास्टिक बिक्री से होगी।
वेस्ट का प्लास्टिक बनेगा ब्रिकी के बाद वेल्थ
वीएम टेक्नोसाफ्ट के अधिकारी विपिन मल्लिक ने बताया सभी विभाग से अनुमति मिल गई है। मार्च तक बायो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट शुरू होगा। इसके बाद डोर-टू-डोर कलेक्शन वाहन से होगा। ट्रीटमेंट प्लांट में इसे लाकर प्लास्टिक को रिसाइकिल कंपनी को देंगे। शेष अवशेष को राख बनाएंगे। एक तरह से यह वेस्ट वेल्थ बनेगा। ताकि उक्त राशि से प्लांट के कई जरूरी कार्य को पूरा किया जा सके।