कस्टम मिलिंग घोटाले में मार्कफेड के अधिकारी मनोज सोनी गिरफ्तार, ED ने मांगी 10 दिन की रिमांड
रायपुर। Custom Milling Scam Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के कस्टम मिलिंग घोटाले में बड़ा अपडेट सामने आ रहा है। ईडी ने खाद्य विभाग के पूर्व विशेष सचिव और मार्कफेड के अधिकारी मनोज सोनी को गिरफ्तार कर लिया है। ईडी ने मनोज सोनी को स्पेशल कोर्ट में पेश कर 10 दिन की रिमांड मांगी है। कस्टम मिलिंग घोटाले में ईडी की एफआइआर में मनोज सोनी का नाम आरोपितों सूची में नाम दर्ज है।
इससे पहले ईओडब्ल्यू ने विजय सोनी को पूछताछ के लिए तलब किया है। ईओडब्ल्यू के नोटिस पर मंगलवार को खाद्य विभाग के पूर्व विशेष सचिव मनोज सोनी ईओडब्ल्यू दफ्तर पहुंचे। ईओडब्ल्यू के डीएसपी स्तर के अधिकारी मनोज सोनी से पूछताछ कर रहे हैं। इस मामले में सोमवार शाम कथित मास्टरमाइंड रोशन चंद्राकर से भी पूछताछ हुई थी। माना जा रहा है कि एसीबी/ईओडब्ल्यू पूछताछ के बाद कार्रवाई कर सकती है।
ईओडब्लू ने कस्टम मीलिंग घोटाले में जांच तेज कर दी है। हजारों करोड़ के घोटाले में कथित मास्टर माइंड रोशन चंद्राकर से कल पूछताछ हुई थी और आज खाद्य विभाग के पूर्व विशेष सचिव और बीएसएनल अधिकारी मनोज सोनी को पूछताछ के लिए ईओडब्लू तलब किया गया है। मनोज सोनी मार्कफेड के एमडी भी रहे हैं।
पता चला है कि ईओडब्लू इस मामले में कड़ाई से पूछताछ कर रही है। माना जा रहा है कि ईओडब्लू शाम तक कोई बड़ी कार्रवाई कर सकती है। मनोज सोनी के खिलाफ ईओडब्लू में भी केस दर्ज है। सोनी के ठिकानों पर ईडी का दो बार छापा भी पड़ चुका है। इसी कस्टम मीलिंग घोटाले में ईओडब्लू ने भी मुकदमा दायर किया है। इसमें मनोज सोनी, रोशन चंद्राकर समेत कई अफसरों, कांग्रेस नेताओं और राईस मिलरों के नाम हैं।
जानिए क्या है कस्टम मिलिंग घोटाला
धान की कस्टम मिलिंग में बड़ा घोटाला करने का आरोप है। बीजेपी के अनुसार इसके सूत्रधार मार्कफेड के तत्कालीन अफसर मनोज सोनी हैं। इस मामले की ईडी जांच में पाया गया है कि खरीफ वर्ष 2021-22 तक सरकार द्वारा धान का प्रति क्विंटल 40 रुपये भुगतान किया गया। धान की कस्टम मिलिंग के लिए दी जाने वाली रकम सरकार ने तीन गुनी बढ़ा दी। 120 रुपये प्रति क्विंटल धान का भुगतान दो किश्तों में किया गया।
आरोप है कि अफसरों ने आधी रकम मार्कफेड के एमडी मनोज सोनी के साथ मिलकर वसूल ली। घोटाले की शर्तों के तहत नकद राशि का भुगतान करने वालों का विवरण जिला विपणन अधिकारी को भेजा गया। उनके माध्यम से ब्यौरा मार्कफेड एमडी तक पहुंचा।
एमडी द्वारा केवल उन्हीं के बिलों को भुगतान के लिए मंजूरी दी गई, जिन्होंने नकद राशि का भुगतान किया। विशेष भत्ता 40 रुपये से बढ़ाकर 120 रुपये क्विंटल करने के बाद प्रदेश में 500 करोड़ रुपये के भुगतान जारी किए गए, जिसमें से 175 करोड़ रुपये की रिश्वत वसूली गई। ईडी ने तलाशी में विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज, डिजिटल उपकरण और 1 करोड़ की बेहिसाब नकद राशि जब्त की है।