पेंच की बाघिन 400 किमी चलकर पहुंची छत्तीसगढ़ के अचानकमार, बाघ कॉरिडोर का दिखाया रास्ता
सिवनी जिले की पेंच टाइगर रिजर्व की एक बाघिन ने 400 किमी की यात्रा करके छत्तीसगढ़ के अचानकमार अभयारण्य तक पहुंचकर बाघ कॉरिडोर की पुष्टि की है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह यात्रा पेंच-कान्हा कॉरिडोर का उपयोग करके की गई। एनटीसीए की रिपोर्ट में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए कॉरिडोर को ठीक करने का सुझाव दिया गया है।
HIGHLIGHTS
- पेंच टाइगर रिजर्व की बाघिन ने 400 किमी यात्रा की।
- बाघ कॉरिडोर के जरिए अचानकमार अभयारण्य पहुंची।
उमरिया। मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में स्थित पेंच टाइगर रिजर्व की एक बाघिन छत्तीसगढ़ के अचानकमार अभयारण्य में दिखाई दे रही है। पेंच से अचानकमार तक लगभग 400 किमी की यात्रा कर बाघिन ने वन्य जीव विशेषज्ञों को प्रसन्न भी कर दिया है।
प्रबल संभावना है कि बाघिन मध्य प्रदेश के मंडला और बालाघाट जिलों के सीमा क्षेत्र के कान्हा टाइगर रिजर्व से होते हुए छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले के अचानकमार अभयारण्य तक पहुंची। बाघिन की इस सफल यात्रा से यह पता चल गया कि पेंच टाइगर रिजर्व से अचानकमार अभयारण्य तक बाघों का आवागमन हो सकता है। इस तरह बाघिन ने दोनों राज्यों के बीच बाघ कॉरिडोर की संकल्पना को पुष्ट किया है।
बता दें, 29 जुलाई, 2023 को जारी राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की रिपोर्ट ‘स्टेटस ऑफ टाइगर्स, को-प्रीडेटर्स एंड प्रे इन’ में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए क्षतिग्रस्त बाघ कॉरिडोर को ठीक करने का सुझाव दिया था। जिस मार्ग से होकर बाघिन ने यात्रा की, उन्हीं वनों की सघनता बढ़ाने की बात भी इसमें कही गई है।
कान्हा टाइगर रिजर्व, मंडला के सेवानिवृत्त वनाधिकारी डा. राकेश शुक्ला कहते हैं कि मध्य प्रदेश में बढ़ रही बाघों की संख्या के कारण इनमें द्वंद्व भी बढ़ा है। अत: संरक्षण के दृष्टिकोण से इनका अन्य राज्यों की ओर रुख करना जरूरी हो गया है। बाघ कॉरिडोर बनाने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। अनियोजित विकास के चलते वनों की कटाई के कारण ये कॉरिडोर क्षतिग्रस्त हुए हैं।
रास्तों को लेकर अलग-अलग राय
पेंच पार्क प्रबंधन का मानना है कि बाघिन ने पेंच-कान्हा कॉरिडोर का उपयोग किया होगा और अचानकमार पहुंची होगी। वहीं छत्तीसगढ़ अचानकमार टाइगर अभयारण्य के एसडीओ संजय लूथरा का मानना है कि बाघिन ने जबलपुर जिले के जंगल से होते हुए करंजिया-बिछिया के रास्ते अचानकमार के जंगल में प्रवेश किया है।
उनके इस तर्क की वजह यह है कि यह बाघिन कान्हा टाइगर रिजर्व में किसी भी कैमरे में ट्रैप नहीं हुई है। कई विशेषज्ञ इसके कान्हा या पेंच से महाराष्ट्र के जंगल से होते हुए अचानकमार पहुंचने की संभावना जता रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में घटी है बाघों की संख्या
एनटीसीए के अनुसार वर्ष 2014 की गणना में छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या 46 थी, जो 2018 में घटकर 19 और 2022 में 17 रह गई। इसके उलट, इसी तरह की जलवायु और भूभाग वाले मध्य प्रदेश में बाघों की संख्या वर्ष 2014 की गणना में 308 थी, जो 2018 में बढ़ कर 526 और 2022 में 785 हो गई।
बाघ संरक्षण की सफलता
वीएन अंबाड़े, मुख्य प्रधान वन संरक्षक, वन्य जीव, मध्य प्रदेश ने कहा कि पेंच की बाघिन का अचानकमार तक का सफर प्रदेश में बाघ संरक्षण के लिए उठाए गए कदमों की सफलता का परिणाम है।