पाकिस्तान में कब-कब हुआ तख्तापलट और सेना ने कितने साल किया शासन? पढ़ें 25 साल पहले मुशर्रफ की रची साजिश और धोखे की कहानी
पाकिस्तान में आज ही के दिन 25 साल पहले उस वक्त के सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ की सरकार का तख्तापलट कर सत्ता पर कब्जा कर लिया। क्या आप जानते हैं कि पाकिस्तान में तख्तापलट की पटकथा कब लिखी गई? 12 अक्टूबर 1999 को तख्तापलट से पहले क्या हुआ था? पाकिस्तान पर अब तक कितने साल सेना ने शासन किया है? नहीं तो पढ़िए ये रिपोर्ट
नई दिल्ली। 12 अक्टूबर 1999… यानी आज से ठीक 25 साल पहले पड़ोसी देश पाकिस्तान में एक सैन्य अफसर ने नवाज शरीफ सरकार का तख्तापलट कर दिया था और देश की कमान अपने हाथ में ले ली थी। यह सैन्य अफसर कोई और नहीं, उस वक्त के जनरल परवेज मुशर्रफ थे। हां वहीं परवेज मुशर्रफ, जिन्हें नवाज ने पाकिस्तान आर्मी चीफ बनाया था।
जब दूसरी बार पीएम बने नवाज शरीफ
फरवरी 1997 में पाकिस्तान में चुनाव हुए। नवाज शरीफ की पार्टी को बहुमत मिला। नवाज दूसरी पर पीएम बने। उनकी सरकार में पाकिस्तान में परमाणु परीक्षण किया, जो सफल रहा। कुछ समय बाद नवाज शरीफ की तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल जहांगीर करामात से ठन गई। नवाज ने जहांगीर को हटाकर परवेज मुशर्रफ को आर्मी चीफ बना दिया।
कारगिल से पलटा सबकुछ
इधर, मुशर्रफ ने आर्मी चीफ बनते अपना रंग बदल लिया। तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ को बिना बताए कारगिल पर हमला कर दिया, जिसमें पाकिस्तान को बुरी तरह मुंह की खानी पड़ी। इस हार को लेकर पाकिस्तानी आवाम में गुस्सा था। सेना हार का दोष लेना नहीं चाहती थी। सरकार भी इससे बच रही थी। सड़कों पर नवाज को लेकर पोस्टर लगने लगे थे- मियां तुम कब जाओगे।
तख्तापलट से पहले क्या हुआ था?
9 अक्टूबर, 1999 को नवाज शरीफ अपने लाहौर के आवास में थे। नवाज ने अपने भाई और उस वक्त के पंजाब के मुख्यमंत्री शहबाज शरीफ को बताया- वह जनरल परवेज को आर्मी चीफ के पद से हटाने का फैसला कर चुके हैं। शहबाज शरीफ हैरान हो गए। जवाब में कहा- ‘अगर जनरल मुशर्रफ को हटाना ही था तो 4 महीने पहले जून की शुरुआत में क्यों नहीं हटाया? तब नेवी और आर्मी दोनों के चीफ उनके से खफा थे। इस वक्त मुशर्रफ को हटाना खतरनाक हो सकता है। मार्शल लॉ भी लग सकता है।’
इस पर नवाज शरीफ ने कुछ नहीं कहा, क्योंकि वह मुशर्रफ को हटाने के फैसले को अमल में लाने के लिए तैयार थे। नवाज ने मिलिट्री सेक्रेटियर ब्रिगेडियर जावेद इकबाल को मिलने बुलाया। बातचीत से पहले अपना और इकबाल का फोन बंद करवाया।
नवाज के फैसले से सभी चौंके
नवाज ने उनको अपने फैसले के बारे में बताया तो वो भी सकते में आ गए। जवाब में इकबाल ने कहा- सर आप जानते हैं कि जनरल जिया-उल हक पीएम जुल्फिकार भुट्टो को फांसी के फंदे तक ले गए थे। ये खतरनाक भी हो सकता है। जवाब में नवाज ने सवाल किया- आखिर कानूनी तौर पर इस फैसले में गलत क्या है?
किसी भी हद तक जा सकते मुशर्रफ
जावेद इकबाल ने कहा- मुशर्रफ का करगिल ऑपरेशन नाकाम रहा। ऐसे में वह किसी भी सूरत में नहीं चाहेंगे कि उनको रिटायर करके उनका कोर्ट मार्शल किया जाए। वे अपने बचाव के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। पाकिस्तान का अपने कंट्रोल में भी ले सकते हैं। नवाज ने कहा- मुशर्रफ को रिटायर तो हर हाल में करेंगे, फिर चाहे कुछ भी हो। तुम वादा करो कि हर हाल में इस खबर को राज रखोगे और सरकार के वफादार रहोगे। मीटिंग खत्म हुई।
नवाज से मिलने के लिए वरिष्ठ पत्रकार नजीर नाजी आए। दरअसल, नवाज ने नाजी को अपने बेटे हुसैन के साथ मिलकर मुशर्रफ को हटाने के लिए जो स्पीच देनी थी, उस लिखने के लिए बुलाया था।
सिर्फ पांच लोगों को थी इसकी भनक
मुशर्रफ को हटाने और करगिल ऑपरेशन पर जांच के लिए एक जांच कमेटी गठित करने का फैसला सिर्फ पांच लोगों को पता था। इन पांच में खुद नवाज शरीफ, बेटा हुसैन नवाज, उनके सचिव सईद मेहंदी, ब्रिगेडियर जावेद इकबाल और नजीर नाजी। यहां तक कि भाई शहबाज से मशविरा करने के बाद भी उनको नहीं बताया कि वह फैसले पर काम कर रहे हैं।
यूएई के दौरे पर पहुंचे नवाज
11 अक्टूबर को नवाज यूएई के दौरे पर पहुंचे, वहां शेख जायद बिन सुल्तान से मुलाकात की। इस दौरान उनको अफगानिस्तान के मुद्दे पर भी बात करनी थी। इसलिए आईएसआई के डीजी जियाउद्दीन बट को भी साथ ले गए। विमान में इशारों में ही बता दिया कि वे उन्हें नया आर्मी चीफ बनाने की सोच रहे हैं।
आदेश जारी तो हुआ, पर जियाउद्दीन बट पद नहीं संभाल सके
12 अक्टूबर को मुशर्रफ को हटाने और जियाउद्दीन बट को नया आर्मी चीफ बनाने की पूरी तैयारी हो चुकी थी। नवाज शरीफ पंजाब के शहर शुजाबाद गए, वहां किसानों के लिए कपास की फसल पर सब्सिडी देने का एलान किया। फिर पीएम हाउस पहुंचे। यहां अपने सचिव सईद मेहंदी से पूछा- मेरे हुक्म पर अब तक अमल क्यों नहीं हुआ? सईद मेहंदी ने कहा- सर मुझे 15 मिनट पहले ही आपका आदेश मिला। नवाज ने फिर आदेश दिया- कारगिल पर जांच करने के लिए कमेटी गठित करने का ऑर्डर तुरंत जारी करें।
जब नवाज ने रखी बेगमों से बात नहीं करने की कसम
नवाज शरीफ, रिटायर्ड जनरल इफ्तार अली खान और सईद मेहंदी को लेकर कमरे में गए। दरवाजा अंदर से बंद किया। सबसे कहा- आप सबको कुरान पर हल्फ देना होगा कि यहां जो भी बात होगी, वो जब तक टीवी पर एलान न हो जाए, तब तक कमरे से बाहर नहीं जाएगी। तब तक आप लोग अपनी बेगमों से भी बात नहीं करेंगे।
नवाज ने लिखवाया पत्र, राष्ट्रपति ने किया साइन
नवाज ने लेटर लिखवाया। फिर राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर कराने पहुंचे। राष्ट्रपति ने साइन कर दिए। अब नवाज के हाथ में परवेज मुशर्रफ को हटाने का आदेश और इसकी जानकारी टीवी पर देने के लिए लिखी हुई स्पीच थीं। जियाउद्दीन बट को बुलाया। उनके नए आर्मी चीफ बनने का लेटर और मुबारकबाद दी गई।
तख्तापलट की साजिश रच मुशर्रफ पहुंचे श्रीलंका
उधर, मुशर्रफ अपने भरोसेमंद अफसरों को तख्तापलट की पूरी प्लानिंग समझा कर श्रीलंका गए हुए थे। उन्हें 12 अक्टूबर को ही पाकिस्तान लौटना था। ऐसे में नवाज शरीफ ने उनके विमान को पाकिस्तान में उतरने पर रोक लगाई।
टीवी पर ब्रेक हुई मुशर्रफ को हटाने की खबर
अब नए आर्मी चीफ को बाकायदा पाक आर्मी का कंट्रोल हासिल करना था। उन्होंने आर्मी हेड ऑफिस फोन कर अपने प्रमोशन की जानकारी दी। टीवी पर मुशर्रफ को आर्मी चीफ के पद से हटाए जाने की खबर ब्रेक हुई। कुछ ही देर में आर्मी की एक टोली पीटीवी के ऑफिस पहुंच गई।
सेना ने टीवी ऑफिस पर बोला धावा
जब कुछ देर और खबर नहीं हटी तो दो ट्रक भरकर फौज पीटीवी के दफ्तर के बाहर पहुंचे तो टीवी पर नगमे चलने लगे। रात 9 बजे आने वाले समाचार भी ब्रॉडकास्ट नहीं हुए। आवाम टेंशन में आ गई कि कहीं इंडिया ने फिर से हमला नहीं कर दिया।
नवाज की सारी कोशिशें धरी की धरी रह गईं
इधर, नवाज शरीफ ने तख्तापलट रोकने की पुरजोर कोशिश की। बावजूद, आर्मी चीफ परवेज मुशर्रफ को पद से बर्खास्त करने के साथ ही श्रीलंका से आ रहे उनके विमान को पाकिस्तान में न उतरने देने की नवाज सरकार की योजना धरी रह गई। उससे पहले ही मुशर्रफ के वफादार सीनियर ऑफिसर्स ने 12 अक्टूबर 1999 को प्रधानमंत्री और उनके मंत्रियों को गिरफ्तार कर लिया। इस तरह परवेज मुशर्रफ पाकिस्तान के राष्ट्रपति बन गए थे और अगस्त 2008 तक वो राष्ट्रपति बने रहे थे।
पाकिस्तान में कितने साल सेना की हुकूमत रही?
पाकिस्तान में परवेज मुशर्रफ के वक्त सेना द्वारा तख्तापलट करने की यह कोई पहली घटना नहीं थी, इससे पहले भी कई बार सेना ने चुनी हुई सरकार गिराकर देश की कमान अपने हाथों में ली थी। भारत से अलग होने के बाद पाकिस्तान में 77 साल में 33 साल से ज्यादा समय सेना ने हुकूमत की है।
पाकिस्तान में कब-कब और किसने किए तख्तापलट?
1. जनरल अय्यूब खान (1958-1969)
भारत से अलग होकर नए-नवेले पाकिस्तान में तख्तापलट की यह पहली घटना थी। पाक के पहले राष्ट्रपति मेजर जनरल इसकंदर मिर्जा ने पाकिस्तानी संसद और प्रधानमंत्री फिरोज खान नून की सरकार को भंग कर देश में मार्शल लॉ लागू कर दिया। इसके साथ ही, उन्होंने आर्मी कमांडर इन चीफ जनरल अयूब खान को देश की बागडोर सौंपी थी। ठीक 13 दिन बाद ही अयूब खान ने तख्तापलट करते उठाते हुए देश के राष्ट्रपति को पद से हटा दिया था और खुद राष्ट्रपति बन गए। साल 1969 तक अयूब खान ही राष्ट्रपति रहे।
1969 में अय्यूब खान के इस्तीफे के बाद जनरल याह्या खान ने सत्ता संभाली। उनका शासन 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम और भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय तक चला। इस युद्ध के बाद पाकिस्तान का विभाजन हो गया और पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश के रूप में स्वतंत्र राष्ट्र बन गया। इसके बाद याह्या खान को इस्तीफा देना पड़ा।
2. जनरल जिया उल हक (1977-1988)
पाकिस्तान में दूसरा तख्तापलट आर्मी चीफ जनरल जिया उल हक ने किया था। 4 जून 1977 को जिया उल हक ने देश के प्रधानमंत्री जुल्फीकार अली भुट्टो को पद से हटा दिया था। खुद सत्ता पर कब्जा कर लिया। भुट्टो को गिरफ्तार किया और बाद में 1979 में फांसी दे दी गई। इस तख्तापलट को ‘ऑपरेशन फेयर प्ले’ के नाम से भी जाना जाता है। जिया उल हक का शासन पाकिस्तान में संविधान के परे इस्लामी कानूनों को लागू करने और पाकिस्तानी राजनीति में इस्लामी तत्वों को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है। 1988 में उनकी एक विमान हादसे में मौत हुई। इसके बाद चुनाव हुए।
3. जनरल परवेज मुशर्रफ (1999-2008)
जनरल परवेज मुशर्रफ ने 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की निर्वाचित सरकार को तख्तापलट के जरिए हटाकर पाकिस्तान पर शासन किया। मुशर्रफ का शासन 2008 तक चला। जिसकी कहानी आप ऊपर पढ़ चुके हैं।