छात्रों के लिए अपार आईडी कार्ड बनवाना स्वैच्छिक, माता-पिता की सहमति अनिवार्य, छात्रों को डिजिटल लाभ देने का है प्रयास
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत छात्रों के लिए अपार (ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री) आईडी कार्ड की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जिला शिक्षा अधिकारी ने सभी ब्लॉक में के बीईओ, एबीओ, बीआरसी, प्राचार्य और तकीनीकी रूप से सक्षम स्टाफ को अप्पर कार्ड बनाने की ट्रेनिंग में शामिल होने के निर्देश दिए है।
HIGHLIGHTS
- एक निर्धारित फॉर्म के जरिए यह सहमति ली जाएगी
- कार्ड छात्रों के लिए आजीवन एक पहचान संख्या होगी
- जिससे छात्रों उनका शैक्षणिक डेटा हमेशा संगठित रहेगा
बिलासपुर। डिजिटल आईडी कार्ड का उद्देश्य छात्रों के शैक्षणिक डेटा को सुरक्षित रखना और इसे व्यवस्थित रूप से प्रबंधित करना है। हालांकि इसे बनवाना स्वैच्छिक है और इसे जारी करने से पहले स्कूलों को छात्रों के माता-पिता की सहमति लेना आवश्यक है। छात्रों के लिए अपार आईडी कार्ड बनवाना अनिवार्य नहीं किया गया है।
इसे बनवाने का निर्णय पूरी तरह से स्वैच्छिक होगा जिससे छात्र और अभिभावक इस कार्ड के फायदों को समझकर इसे स्वीकार कर सकते हैं। इस आईडी कार्ड को जारी करने से पहले, स्कूलों और कॉलेजों को छात्रों के माता-पिता की सहमति लेना आवश्यक होगा। एक निर्धारित फॉर्म के जरिए यह सहमति ली जाएगी, जिसमें माता-पिता अपनी मंजूरी या असहमति जाहिर कर सकते हैं।
छात्रों को मिलेगा डिजिटल लाभ
जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि अपार आईडी कार्ड से छात्रों को अपने शैक्षणिक रिकॉर्ड को ट्रैक करने और डिजिटल रूप में सुरक्षित रखने की सुविधा मिलेगी। यह कार्ड छात्रों के लिए आजीवन एक पहचान संख्या के रूप में कार्य करेगा, जिससे उनका शैक्षणिक डेटा हमेशा संगठित रहेगा। छात्रों के अभिभावकों को भी इससे जुड़े फायदे बताए जाएंगे। APAAR ID आधार की तरह अब हर छात्र का 12 अंकों का अपार कार्ड (APAAR ID) बनेगा।