बुरहानपुर के जंगल में मृत अवस्था में मिला बाघ, 2-3 दिन पहले मौत का अनुमान

बुरहानपुर में एक बाघ मृत अवस्था में पाया गया है, अनुमान है कि उसकी मौत 2 से 3 दिन पहले हुई है। फॉरेस्ट विभाग जांच में जुटा है।

HighLights

  1. बुरहानपुर के वनमंडल क्षेत्र में बाघ की मौत
  2. 2-3 दिन पहले बाघ की मौत की आशंका
  3. मौत के कारण की जांच में जुटा वन अमला

बुरहानपुर। वन मंडल बुरहानपुर के वन परिक्षेत्र नेपानगर के दक्षिण हसनपुरा के जंगल में बाघ मृत अवस्था में मिला है। बाघ की मौत दो से तीन दिन पहले हुई है। स्थानीय लोगों ने बाघ की मौत की सूचना वन विभाग को दी, जिसके बाद बुरहानपुर वन मंडल अधिकारी, नेपानगर रेंजर सहित वन विभाग का अमला घटनास्थल पहुंचा। ड्रोन की सहायता से जंगल में सर्चिंग की जा रही है। डाग स्कॉट की सहायता भी ली जा रही है।

सात-आठ साल का था बाघ

शनिवार को प्रोटोकाल के अनुसार आठ डाक्टरों की पैनल ने बाघ के शव का पोस्टमार्टम किया है। हालांकि देर शाम तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट के तथ्य सामने नहीं आ सके थे। अधिकारियों के अनुसार मृत बाघ नर था और उसकी आयु सात से आठ वर्ष के बीच थी।

डीएफओ विजय सिंह ने बाघ के शिकार की आशंका से इनकार किया है। उनका कहना है कि शिकार करने की दशा में शिकारी उसके पंजे के नाखून, मूछ के बाल, दांत आदि निकाल लेते हैं। इस बाघ के सभी अंग सलामत हैं। बाघ की मौत तीन से चार दिन पहले होने का अनुमान लगाया गया है।

दूसरी ओर जानकारों ने बाघ की मौत भूख से होने की आशंका जताई है। इसके पीछे नेपानगर क्षेत्र में बाघ का मुख्य भोजन चीतल, हिरण आदि का नहीं होना बताया जा रहा है। हालांकि वास्तविक कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने मिलने के बाद ही सामने आ सकेगा।

मेलघाट टाइगर रिजर्व से आते हैं बाघ

वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार बुरहानपुर जिले के जंगलों में बाघ नहीं हैं, लेकिन महाराष्ट्र के मेलघाट टाइगर रिजर्व से सटे होने के कारण वहां से बाघ विचरण करते हुए बुरहानपुर आ जाते हैं। बीते साल भी नेपानगर वन परिक्षेण में ही एक अन्य बाघ मृत अवस्था में पाया गया था।

इसके अलावा बीते सप्ताह खकनार क्षेत्र के जम्बूपानी में भी ग्रामीणों ने बाघ के मौजूद होने और मवेशियों का शिकार करने की शिकायत की थी। नेपानगर क्षेत्र में भी ग्रामीण काफी समय से गांवों के आसपास बाघ देखे जाने और पालतू मवेशियों के शिकार की शिकायत कर रहे थे। वन विभाग लगातार सर्च आपरेशन चला रहा था, लेकिन उसे कहीं भी पग मार्क नहीं मिले थे।

डाग स्क्वाड की भी ली मदद

शनिवार को डीएफओ विजय सिंह के अलावा एसडीओ वन मानसिंह खराड़ी, रेंजर श्रीराम पांडेय सहित अधिकारी जंगल में पहुंचे थे। वन अमले ने ड्रोन से आसपास के जंगल की सर्चिंग की, लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा। इसके अलावा डाग स्क्वाड को भी बुलाया गया था। अधिकारियों का कहना है कि हर एंगल से इस मामले की जांच की जा रही है।

 

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