Pitru Paksha 2024: सबसे जटिल कुंडली दोषों में शामिल हैं पितृ दोष… ज्योतिषाचार्य से जानिए श्राद्ध पक्ष में शुभ कार्य करें या नहीं
Pitru Paksha 2024: पितरों की शांति के लिए हर वर्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक के काल को पितृ पक्ष श्राद्ध होते हैं। इस दौरान तर्पण और पिंडदान का विशेष महत्व है।
HIGHLIGHTS
- 18 सितंबर को प्रतिपदा का श्राद्ध किया जा रहा
- इसके बाद एक-एक तिथि में श्राद्ध किया जाएगा
- 2 अक्टूबर को सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या मनेगी
धर्म डेस्क, इंदौर। भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से पितृपक्ष शुरू हो गए। प्रतिपदा का पहला श्राद्ध बुधवार को मनाया जा रहा है। पूर्णिमा और अनंत चतुर्दशी एक ही दिन होने के कारण सुबह अनंत देव की पूजा की गई।
ज्योतिषाचार्य पंडित रवि शर्मा ने बताया कि ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार देवताओं को प्रसन्न करने से पहले मनुष्य को अपने पितरों यानी पूर्वजों को प्रसन्न करना चाहिए। हिंदू ज्योतिष के अनुसार भी पितृ दोष को सबसे जटिल कुंडली दोषों में से एक माना जाता है।
पितृ पक्ष में पितरों को आजाद कर देते हैं यमराज
- पंडित रवि शर्मा के अनुसार, मान्यता है कि इस दौरान कुछ समय के लिए यमराज पितरों को आजाद कर देते हैं, ताकि वह अपने परिजनों से श्राद्ध ग्रहण कर सकें।
- कौए को पितरों का रूप माना जाता है। मान्यता है कि श्राद्ध ग्रहण करने के लिए पितर काग का रूप धारण कर नियत तिथि पर दोपहर के समय हमारे घर आते हैं।
- अगर उन्हें श्राद्ध नहीं मिलता, तो वह रुष्ट हो जाते हैं। इस कारण श्राद्ध की तिथि वाले दिन घर में भोजन बनता है और श्राद्ध का प्रथम अंश काग को दिया जाता है।
मांगलिक कार्यों पर रहती है रोक
ज्योतिषाचार्य रवि शर्मा के अनुसार, पितृपक्ष अशुभ नहीं होता, बल्कि यह पूर्वजों को समर्पित समय होता है। इस दौरान पूर्वजों की पूजा, तर्पण और दान करना मुख्य होता है।
उनका कहना है कि इस पक्ष में खरीदारी को अशुभ मानने की धारणा गलत है। इसमें केवल विवाह व अन्य बड़े मांगलिक कार्यों पर इस समय रोक होती है। शर्मा बताते हैं कि यदि इस अवधि में कोई नई वस्तु खरीदी जाती है, तो पूर्वजों को इससे खुशी होती है।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि इन दिनों में शुभ और श्रेष्ठ मुहूर्त में खरीदारी करनी चाहिए, क्योंकि इससे अधिक लाभ प्राप्त होता है।