Sawan 2024: भगवान शिव को क्यों नहीं चढ़ाना चाहिए कुमकुम, हिंदू मान्यता में वर्जित है उपयोग

वैसे तो भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उन्हें बेलपत्र और धतूरा सहित कई वस्तुओं को अर्पित किया जाता है। लेकिन कई ऐसी भी सामग्री है, जिसका उपयोग शिव पूजा में नहीं किया जाता है। इनमें कुमकुम सहित अन्य वस्तुएं शामिल हैं। ऐसी ही सामग्रियों के बारे में आपको यहां बताते हैं।

HIGHLIGHTS

  1. सुहाग की निशानी मानी गई है कुमकुम
  2. हल्दी सौंदर्य के लिए की जाती है उपयोग
  3. तुलसी का उपयोग शिव पूजा में है वर्जित

धर्म डेस्क, इंदौर Sawan 2024। इन दिनों सावन माह चल रहा है, शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। सावन माह में भगवान शिव के निमित्त व्रत रखना शुभ माना गया है। मान्‍यता है कि इससे भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

 

वैसे तो महादेव के पूजन में कई वस्तुओं को शामिल किया जाता है, जिन्हें चढ़ाना शास्त्रों में शुभ माना गया है, लेकिन कुछ वस्तुएं वर्जित भी बताई गई है। ऐसी ही एक कुमकुम भी है जिसे शिवलिंग पर नहीं चढ़ाया जाता।

ये है कारण

मान्यता के अनुसार कुमकुम को सुहाग की निशानी माना गया है। ऐसे में शिवलिंग पर कुमकुम चढ़ाना वर्जित माना गया है। इसके साथ ही भगवान शिव को रोली भी नहीं चढ़ाई जाती है। माना जाता है कि वे वस्तुएं भोलेनाथ को अर्पित करने से पूजा का फन प्राप्त नहीं होता।

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ये वस्तुएं भी न चढ़ाएं

तुलसी के पत्ते

वैसे तो तुलसी के पत्ते हिंदू धर्म में पवित्र माने गए हैं, लेकिन उन्हें भगवान शिव को नहीं चढ़ाया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार एक तुलसी के पूर्व जन्म का नाम वृंदा था और उसी के दिए श्राप के कारण तुलसी को शिवलिंग पर चढ़ाना वर्जित है।

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हल्दी

शिव पूजा में हल्दी के उपयोग की भी मनाही होती है। माना जाता है कि हल्दी माता लक्ष्मी का स्वरूप और इसका उपयोग सौंदर्य के लिए भी किया जाता है। ऐसे में इसे शिवलिंग पर नहीं चढ़ाया जाता है। सिर्फ महाशिवरात्रि पर ही हल्दी भोलेनाथ और मां पार्वती को चढ़ाई जाती है।

 

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तिल

हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार तिल की उत्पत्ति भगवान विष्णु के मैल के कारण हुई थी। ऐसे में इसका उपयोग भी शिव पूजा में नहीं होता। तिल सिर्फ शनिदेव के पूजन और पितरों के तर्पण में ही उपयोग की जाती है।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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