Purna Guru Pushya Yog: साल 2024 का आखिरी पूर्णकालिक गुरु पुष्य योग 21 नवंबर को, खरीदारी का महा मुहूर्त
इसे पूर्णकालिक गुरु पुष्य नक्षत्र कहा जा रहा है, क्योंकि यह संयोग सूर्योदय से सूर्यास्त तक रहेगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस दिन खरीदी गई वस्तुएं स्थायी फल देती हैं। विवाह मुहूर्त के बीच इस योग का बनना भी शुभ बताया गया है।
धर्म डेस्क, इंदौर (Guru Pushya Nakshatra 2024)। इस वर्ष का अंतिम पूर्णकालिक गुरु पुष्य योग 21 नवंबर, गुरुवार को रहेगा। इस दिन गुरुवार के साथ पुष्य नक्षत्र का संयोग सूर्योदय से सूर्यास्त तक रहेगा, जिससे यह पूर्णकाल योग अत्यधिक फलदायी माना जा रहा है।
इस योग में रवि योग और अमृत सिद्धि योग का भी संयोग है, जो इसे और भी उत्तम फलकारी बनाते हैं। यह विशेष योग स्थिरता प्रदान करने वाला है और इस दिन पीली धातु, पीले अनाज, पीले वस्त्र, मांगलिक कार्यों के लिए वस्तुएं, धार्मिक सामग्री, पुस्तकें, साहित्य और सामाजिक-धार्मिक कार्यों के लिए संकल्प जैसी चीजें खरीदना शुभ रहेगा।
चार शुभ योग देंगे चार गुना फल
- मध्य प्रदेश के ग्वालियर के पंडित विनोद गौतम ने बताया कि गुरु पुष्य नक्षत्र का यह महा मुहूर्त विशेष रूप से खरीदारी में स्थिरता प्रदान करेगा, जो विवाह और मांगलिक कार्यों के लिए उपयुक्त माना गया है।
- इस दिन के चार शुभ योग- गुरु पुष्य योग, रवि योग, अमृत सिद्धि योग और शुभ योग, चार गुना फल प्रदान करेंगे। यह दिन भूमि, भवन, सोना, पीतल की मूर्तियां, मंदिर, पूजा की सामग्री की खरीदारी के लिए अत्यधिक लाभकारी रहेगा।
मार्गशीर्ष माह का महत्वपूर्ण दिन
हिंदू पंचांग के अनुसार, 16 नवंबर से मार्गशीर्ष माह की शुरुआत हो गई है। इस दौरान विवाह पंचमी समेत अन्य प्रमुख त्योहार मनाए जाएंगे। इस बीच, गुरु पुष्य होने के कारण 21 नवंबर का दिन भी अहम है।
इससे पहले 15 अक्टूबर को देशभर में कार्तिक पूर्णिमा मनाई गई। इस अवसर पर प्रमुख शहरों में धार्मिक मेले का शुभारंभ हुआ। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर करोड़ों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई।
प्रात: काल से शुरू हुआ मुख्य स्नान का क्रम शाम तक चलता रहा। श्रद्धालुओं ने मुख्य स्नान करने के बाद भगवान के दर्शन किए। स्नान घाट पर सुरक्षा व्यवस्था की दृष्टि से पुलिस ने पुख्ता इंतजाम किए।
इसी दिन, गुरु नानक जयंती के रूप में प्रकाश पर्व भी मनाया गया। प्रमुख गुरुद्वारों में पहुंचने वाले सिख समुदाय के लोगों ने गुरु ग्रंथ को मत्था ठेका और श्रद्धालुओं ने लंगर चखा। सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले धर्मगुरु गुरु नानक देव की जयंती गुरुद्वारे में प्रकाश पर्व के रूप में मनाई गई।
गुरु नानक का जन्म कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा 1526 ई. में हुआ था। यही कारण है हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा को प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है।