Bhakoot Dosh: कुंडली में क्या होता है भकूट दोष, कैसे बनता है… जानिए समस्या, समाधान समेत सब कुछ
सनातन धर्म में शादी से पूर्व कुंडली मिलान को काफी महत्वपूर्ण माना गया है। कुंडली मिलान से गुण एवं दोष पता चल जाते हैं। कुंडली सही से मिलने पर ही वर-वधु का विवाह किया जाता है। वर-वधु की कुंडली में ऐसा ही भकूट दोष भी हो सकता है, जिसके चलते शादी नहीं की जाती। हालांकि, इसका निराकरण भी किया जा सकता है।
HIGHLIGHTS
- कुंडली में तीन तरह का होता है भकूट दोष
- वर-वधु पर अलग-अलग पड़ सकते हैं प्रभाव
- भकूट दोष का चंद्रमा की स्थिति से है संबंध
Bhakoot Dosh धर्म डेस्क, इंदौर। इन दिनों शादी का सरजन चल रहा है। भारतीय हिंदू परंपरा में पहले कुंडली मिलान किया जाता है, उसके बाद ही शादी का मुहूर्त निकाला जाता है। कुंडली न मिलने पर शादी नहीं की जाती।
वर-वधु की कुंडली में एक ऐसा ही भकूट दोष होता है। आपको इस दोष और इसके निराकरण के बारे में बताते हैं।
क्या है भकूट दोष
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शादी के पूर्व कुंडली मिलान के दौरान वर-वधु की कुंडली में चंद्रमा 6-8, 9-5 अथवा 12-2 के भाव में स्थित है, तो इसे भकूट दोष कहा जाता है, यह तीन प्रकार से होता है।
- अगर भकूट दोष 6-8 का है, तो शादी के बाद शारीरिक समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
- 9-5 के भकूट दोष में संतान प्राप्ति में देरी होती है और रिश्तो में दरार आने की संभावना रहती है।
- 12-2 का भकूट दोष होने पर वर-वधु को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
क्या है उपाय?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सामान्य उपाय के माध्यम से भकूट दोष को दूर किया जा सकता है। इसके लिए आप स्थानीय पंडित अथवा ज्योतिष से संपर्क कर सकते हैं। शादी के बाद भी वर-वधु को कई नियमों का पालन भी करना पड़ता है।
डिसक्लेमर
‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’