हिमाचल में पंजाब की कहानी रिपीट होने देगी कांग्रेस? AAP की सक्रियता से बढ़ी मुश्किल
नई दिल्ली. हिमाचल प्रदेश में इस साल के अंत में चुनाव होने वाले हैं और उससे पहले कांग्रेस को लेकर यह सवाल उठने लगा है कि क्या यहां भी वह पंजाब की कहानी रिपीट होने देगी। पंजाब में आपसी कलह के चलते कांग्रेस को आम आदमी पार्टी के मुकाबले करारी हार का सामना करना पड़ा था और पड़ोसी राज्य हिमाचल में भी लीडरशिप को लेकर वह पसोपेश की स्थिति से गुजर रही है। एक तरफ राज्य में आम आदमी पार्टी मजबूती से एंट्री करने की कोशिश में है तो भाजपा पहली बार सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही है। ऐसे में कांग्रेस फिलहाल चर्चा से परे है और यही हाल रहा तो वह एक कमजोर प्लेयर साबित हो सकती है।
मंडी जिले में अप्रैल के पहले सप्ताह में अरविंद केजरीवाल रोड शो कर चुके हैं। इसके अलावा भाजपा 6 अप्रैल को अपने स्थापना दिवस के मौके पर प्रदेश भर में कार्यक्रम कर चुकी है। अब दोनों पार्टियां अगले राउंड की तैयारी में हैं, जिसके तहत 22 अप्रैल को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा कांगड़ा जिले के नगरोटा बगवां में रोड शो करने वाले हैं। इसके अलावा अरविंद केजरीवाल भी कांगड़ा में ही 23 अप्रैल को एक रैली करने वाले हैं। वहीं कांग्रेस पार्टी स्टेट यूनिट के लीडरशिप के सवाल को ही हल नहीं कर सकी है। एक तरफ वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह अपनी दावेदारी पेश करने में जुटे हैं तो दूसरी तरफ कौल सिंह ठाकुर का गुट भी सक्रिय है, जो सीएम जयराम ठाकुर के ही जिले मंडी से आते हैं।
AAP को इन नेताओं से है उम्मीद, CM घोषित नहीं किया है घोषित
हिमाचल प्रदेश में सिर्फ 1998 में ही तीसरे मोर्चे को सरकार बनाने का मौका मिला था, जब पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम ने भाजपा संग गठबंधन सरकार बनाई थी। लेकिन यह हिमाचल विकास कांग्रेस ज्यादा नहीं चली और अगले चुनाव में उसका विलय अंत में कांग्रेस में ही हो गया, जबकि कुछ नेता भाजपा में चले गए। इस बार आम आदमी पार्टी को उम्मीद है कि वह टू पार्टी सिस्टम वाले राज्य में तीसरे विकल्प के नाम पर कुछ सफलता पा सकती है। भले ही आम आदमी पार्टी ने किसी नेता को सीएम फेस घोषित नहीं किया है, लेकिन वह भाजपा और कांग्रेस के बागियों को साधने की कोशिश में है। इसके अलावा सामाजिक तौर पर सक्रिय कुछ प्रमुख नामों पर भी आम आदमी पार्टी दांव लगाना चाहती है।
AAP की सक्रियता क्यों भाजपा को कर रही है खुश
हालांकि यह चुनाव आम आदमी पार्टी के साथ ही भाजपा को भी राहत देने जैसा लग रहा है। माना जाता है कि भाजपा का वोटर उसके साथ डटा रहता है। ऐसे में आम आदमी पार्टी की सक्रियता कांग्रेस के वोटों में सेंध लगा सकती है और यह स्थिति भाजपा के लिए फायदेमंद होगी, जो पहली बार लगातार दूसरी बार सत्ता में आने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस फिलहाल न तो किसी नेता को सीएम फेस घोषित करने की स्थिति में है और न ही वह यह जताने की कोशिश कर रही है कि किसकी लीडरशिप में वह चुनावी समर में उतरेगी।