MP News: प्रदेश के 40 प्रतिशत सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को नहीं मिल पाई निश्शुल्क किताबें"/>

MP News: प्रदेश के 40 प्रतिशत सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को नहीं मिल पाई निश्शुल्क किताबें

राज्य शिक्षा केंद्र की ओर से इस साल से विद्यार्थियों को किताबें मिलीं या नहीं इसकी मोबाइल एप से ट्रैकिंग की जा रही है। इसके लिए राज्य शिक्षा केंद्र ने आनलाइन टेक्स्ट बुक वितरण ट्रैकिंग मोबाइल एप तैयार किया है। इस ट्रैकिंग के माध्यम से प्रदान करने और वितरण की मानीटरिंग राज्य, जिला व विकासखंड स्तर पर की जा रही है।

HIGHLIGHTS

  1. मप्र पाठ्य पुस्तक निगम ने ब्लाक स्तर पर पहुंचाई किताबें
  2. स्कूलों में सही तरीके से अधिकारी नहीं करा पाए वितरण
  3. किताबें पहुंचाने की डीईओ-डीपीसी की जिम्मेदारी

भोपाल। प्रदेश के सरकारी स्कूल ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद बीते 18 जून से शुरू हुआ है। स्कूल खुलने के साथ ही विद्यार्थियों को किताबों का वितरण होना था, लेकिन राजधानी समेत प्रदेश भर के करीब 40 प्रतिशत स्कूलों में अभी किताबों का वितरण नहीं हो पाया है, जबकि मप्र पाठ्य पुस्तक निगम 99 फीसद किताबें जिलों में ब्लाक स्तर तक पहुंचा चुका है।

दरअसल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पहली से 12वीं तक के विद्यार्थियों को निश्शुल्क किताबें दी जाती हैं। इस बार नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत बीते एक अप्रैल से हुई है।

सत्र की शुरुआत से ही बच्चों की पढ़ाई के लिए पाठ्यपुस्तक निगम ने जिला स्तर पर डिमांड के अनुसार किताबें भेज दी थी।

शैक्षणिक सत्र 2024-25 में पहली से 12वीं तक के लिए पाठ्यपुस्तक निगम जिलों में ब्लाक स्तर पर 99 फीसद विद्यार्थियों के लिए सभी विषयों की किताबें भेज चुका है, लेकिन जिले के कुछ स्कूलों में ही किताबें पहुंची हैं।

बता दें, कि पहली से 12वीं तक में मप्र पाठ्यपुस्तक निगम हर साल सात करोड़ किताबें छपाई कराता है।अब राज्य शिक्षा केंद्र किताबों के वितरण का कार्य आनलाइन निगरानी कर रहा है।

किताबें पहुंचाने की डीईओ-डीपीसी की जिम्मेदारी

स्कूलों में जिला स्तर पर किताबें पहुंचाने की जिम्मेदारी जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) व जिला परियोजना समन्वयक (डीपीसी)की होती है। इनके नीचे विकासखंड स्त्रोत समन्वयक (बीआरसी) स्कूलों में किताबें पहुंचाने की निगरानी करते हैं, लेकिन भोपाल जिले में अधिकारियों की लापरवाही के कारण कई स्कूलों में किताबें नहीं पहुंच पाई है। मोबाइल ट्रैकिंग एप से होती है निगरानी। ट्रैकिंग होने के बाद भी किताबों के वितरण कराने में अधिकारी लापरवाही कर रहे हैं।

इनका कहना है

-जिले के स्कूलों से मोबाइल एप पर किताबों के वितरण करने की जानकारी और संख्या मांगी गई है। इसे जल्द ही अपडेट कराकर किताबें भेजी जाएगी।

ओमप्रकाश शर्मा,जिला परियोजना समन्वयक

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