Surya Dakshinayan 2024: देवताओं की रात्रि मानी जाती है सूर्य का दक्षिणायन, जानिए क्या होता इस दौरान"/>

Surya Dakshinayan 2024: देवताओं की रात्रि मानी जाती है सूर्य का दक्षिणायन, जानिए क्या होता इस दौरान

HIGHLIGHTS

  1. नकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है दक्षिणायन
  2. तामसिक प्रयोगों के लिए उपयुक्त है दक्षिणायन
  3. इस अवधि में होती हैं वर्षा, शरद और हेमंत ऋतुएं

धर्म डेस्क, इंदौर। Surya Dakshinayan 2024: धार्मिक ग्रंथों में सूर्य देव प्रत्यक्ष देवता माने जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को ग्रहों का राजा कहा जाता है। सूर्य देव प्रसिद्धि, पद, कार्य और आत्मा का कारक ग्रह हैं। 21 जून 2024 को सूर्य उत्तरायण से दक्षिणायन में प्रवेश कर चुके हैं। यह दिन साल का सबसे बड़ा दिन होगा और रात करीब 10 घंटे की होगी। दक्षिणायन अगले 6 महीने तक जारी रहेगा। इसके साथ ही वर्षा ऋतु का आरंभ हो जाएगा। दक्षिणायन की अवधि में सूर्य कर्क से धनु राशि में संचार करते हैं। इससे पितरों का दिन और देवताओं की रात्रि शुरू हो जाएगी।

सूर्य का उत्तरायण और दक्षिणायन

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, जब सूर्य मकर राशि से मिथुन राशि तक यात्रा करते हैं, तो इस अवधि को उत्तरायण कहा जाता है। सूर्य के उत्तरायण की यह अवधि 6 महीने की होती है। जब सूर्य कर्क राशि से धनु राशि तक भ्रमण करते हैं, तो इसे दक्षिणायन कहा जाता है। कहा जाता है कि दक्षिणायन नकारात्मकता का प्रतीक होता है। उत्तरायण को सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। सौर मास का आरंभ सूर्य संक्रांति से होता है। एक सूर्य संक्रांति से अगली संक्रांति तक का समय सौरमास कहलाता है।

दक्षिणायन के दौरान नहीं किए जाते यह कार्य

    • मान्यताओं के अनुसार, दक्षिणायन काल को देवताओं की रात्रि माना जाता है।
    • दक्षिणायन के दौरान रातें बड़ी हो जाती हैं और दिन छोटे हो जाते हैं।
    • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, दक्षिणायन के दौरान सूर्य दक्षिण की ओर झुका हुआ रहता है और गति करता है।
    • विवाह, मुंडन, उपनयन आदि विशेष शुभ कार्य दक्षिणायन के दौरान वर्जित माने गए हैं।
    • इस अवधि में तीन ऋतुएं होती हैं, वर्षा, शरद और हेमंत।
    • तामसिक प्रयोगों के लिए दक्षिणायन का समय उपयुक्त है।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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