Radha Ashtami 2023: राधा अष्टमी पर्व आज, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

शास्त्रों के अनुसार, राधा अष्टमी के दिन राधा रानी की पूजा मध्याह्न काल में की जाती है। इस दिन राधा रानी की उपासना करने से जीवन की परेशानियों से मुक्ति मिलती है।

HIGHLIGHTS

  1. शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी आती है।
  2. शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 22 सितंबर दोपहर 01 बजकर 35 मिनट से शुरू होगी।
  3. राधा अष्टमी का पर्व बेहद ही शुभ संयोग में मनाया जाने वाला है।

Happy Radha Ashtami 2023: श्री कृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बार हर साल राधा अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व राधा रानी के जन्म के रूप में मनाया जाता है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी आती है। इस दिन भगवान कृष्ण और राधा रानी की उपासना का विधान है। शास्त्रों के अनुसार, राधा अष्टमी के दिन राधा रानी की पूजा मध्याह्न काल में की जाती है। इस दिन राधा रानी की उपासना करने से जीवन की परेशानियों से मुक्ति मिलती है। आइए, जानते हैं राधा अष्टमी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और शुभ योग।

राधा अष्टमी शुभ मुहूर्त

पंडित आशीष शर्मा के अनुसार, इस साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 22 सितंबर दोपहर 01 बजकर 35 मिनट से शुरू होगी और 23 सितंबर दोपहर 12 बजकर 17 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में राधा अष्टमी का पर्व 23 सितंबर 2023, शनिवार के दिन मनाया जाएगा। इस दिन मध्याह्न काल में राधा जी की उपासना का विधान है। यह मध्याह्न काल सुबह 11 बजकर 01 मिनट से दोपहर 01 बजकर 26 मिनट तक रहेगा।

राधा अष्टमी शुभ योग

राधा अष्टमी का पर्व बेहद ही शुभ संयोग में मनाया जाने वाला है। इस दिन सौभाग्य योग रात्रि 09 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। इसके बाद शोभन योग बनेगा। इस दिन रवि योग का भी निर्माण हो रहा है। यह योग दोपहर 02 बजकर 56 मिनट से 24 सितंबर सुबह 06 बजकर 10 मिनट तक रहेगा। इन सभी मुहूर्त में राधा रानी की पूजा करने से दोगुना फल प्राप्त होगा।

राधा अष्टमी पूजा विधि

राधा अष्टमी के दिन प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। इसके बाद पूजा घर की अच्छी तरह से सफाई करें। एक चौकी पर राधा जी की धातु या पाषाण की प्रतिमा स्थापित करें। राधा जी को पंचामृत से स्नान कराएं और उन्हें नए, सुंदर वस्त्र पहनाएं। पूजा काल में मंडप के अंदर तांबे या मिट्टी से बने पात्र में राधा जी की मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद राधा जी को धूप, दीप, पुष्प आदि अर्पित करें। अंत में राधा रानी की आरती करें। इस दिन जरूरतमंदों को अन्न, धन या वस्त्र दान करने चाहिए।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button