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IAS पिता ने किया बेटी के जज्बे को सलाम, UPSC में असफल होने पर लिखी प्रोत्साहित करने वाली पाती

मप्र शासन में गृह सचिव ओमप्रकाश श्रीवास्तव द्वारा बेटी श्रुति को लिखी गई पोस्ट पैरेंटिंग का एक बेहतरीन उदाहरण है।

सुशील पांडेय, भोपाल। एक पिता द्वारा अपनी बेटी की लिखी गई चिट्ठी उसे सफलता के किस मुकाम तक पहुंचा सकती है, इसका उदाहरण हम पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा अपनी बेटी इंदू यानी इंदिरा गांधी को लिखी गई चिट्ठियों से लगा सकते हैं। अपनी बेटी की असफलता पर प्रोत्साहित करने वाला पत्र लिखकर कुछ एसा ही उदाहरण पेश किया है मध्य प्रदेश के आइएएस अधिकारी ओमप्रकाश श्रीवास्तव ने। आज के इस गलाकाट प्रतिस्पर्धा के दौर में जहां माता-पिता अपने बच्चों से सिर्फ अच्छे परिणाम की अपेक्षा रखते हैं। वहीं मध्य प्रदेश शासन के गृह विभाग में सचिव ओमप्रकाश श्रीवास्तव ने अपनी बेटी की असफलता पर जो चिठ्ठी लिखी है, वो पैरेंटिंग की मिसाल है। यह चिट्ठी उन युवाओं की भी प्रेरणा बन सकती है, जो असफलता झेल नहीं पाते और हताशा-निराशा के गर्त में डूब जाते हैं।
असफलता के बाद बेटी की पोस्ट

दरअसल वरिष्ठ आइएएस ओम प्रकाश श्रीवास्तव की बेटी श्रुति ने यूपीएससी-2023 में अच्छे अंक प्राप्त किए, लेकिन उनका चयन नहीं हो सका। पर्सनैलिटी टेस्ट होने के बाद उन्हें उम्मीद थी कि चयन हो जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नही। पर्सनैलिटी टेस्ट के बाद उन्होंने पांच अप्रैल को यूपीएससी कार्यालय धौलपुर हाउस में पर खड़े होकर कुछ फोटोग्राफ लिए थे। उन्होंने यह सोचकर फोटोग्राफ लिए थे कि जब उनका चयन हो जाएगा, तब इन फोटो का उपयोग करेंगी। लेकिन अफसोस वह अंतिम सूची में शामिल नहीं सकीं। इसके बाद भी उन्होंने इंटरनेट मीडिया पर फोटो शेयर की और लिखा- चयन नहीं हुआ फिर भी ये फोटो शेयर कर रहीं हूं, क्योंकि मैं अपनी असफलता को छिपाना नहीं चाहती। मैं स्वीकर करना चाहतीं हूं कि इसे मेरा हिस्सा बनाओ और मेरे साथ आगे बढ़ो।

पिता ने लिखा प्रेरक जवाब

श्रुति की इस पोस्ट पर उनके पिता ओमप्रकाश श्रीवास्तव ने रिप्लाई दिया। उन्होंने फेसबुक पर लिखा- नहीं श्रुति, तुम्हारा फेलियर नहीं है। तुमने एक ऊंचा लक्ष्य समाने रखा था। देशभर के सबसे प्रतिभाशाली और मेहनती अनारक्षित वर्ग के उन सौ युवाओं में अपना स्थान बनाया, जो इस कठिन परीक्षा के अंतिम चरण तक पहुंचे। अंतिम सफलता तो कई ऐसे कारणों पर निर्भर करती है, जो हमारे नियंत्रण के बाहर होते हैं। इसे ही भाग्य करते हैं। तुम्हारा ज्ञान, मेहनत किसी भी चयनित प्रत्याशी से कम नहीं है। तुमने पहले भी सिविल सर्विस की मुख्य परीक्षा दी है, जिस पेपर में तुम्हारे 125 के लगभग नंबर आते रहे हैं। इस बार उससे भी अच्छा पेपर जाने के बाद भी अनुमानित 135 के स्थान पर मात्र 103 नंबर मिलना सिर्फ भाग्य तो ही है, जिस कारण तुम किनारे तक पहुंच कर भी चयनित नहीं हो पाई। तुम्हारी मेहनत और व्यक्तित्व का मूल्यांकन तो इंटरव्यू बोर्ड ने किया है, जिसने तुम्हे 64 प्रतिशत अंक दिए हैं, जबकि आइएएस में भी 49-50 प्रतिशत पर अंतिम चयन हो जाता है। तुम्हारा, ज्ञान, मेहनत और व्यक्तित्व किसी भी चयनित प्रत्याशी से कम नहीं है। अब तुमने अपना करियर खुद चुन लिया है। छह साल तक दिन-रात मेहनत करके जो चाहा था और जिसके मिलने की पूरी संभावना थी, वह एक झटके में समाप्त हो गया। इसके बाद भी रिजल्ट घोषित होने के दो दिन बाद जिस जज्बे से तुमने पारिवारिक समारोह में भाग लिया, डांस किया और किसी को महसूस नहीं होने दिया कि दो दिन पूर्व कितना बड़ा झटका तुमको लगा है, वह अद्भुत है। तुमने अपना करियर खुद चुन लिया है।

जज्बे को सराहा

ओपी श्रीवास्तव ने आगे लिखा कि महिलाओं और बच्चों के सशक्तिकरण को लेकर समाज के बीच काम करना। इसके लिए जिस उत्साह से तुमने शुरूआत की है, वह अविश्वसनीय सा लगता है। यही जज्बा तुम्हे समाज में स्थान दिलाएगा। सिविल सेवा बहुत कुछ है, वह आर्थिक सुनिश्चितता देती है, समाज में पहचान और सम्मान दिलाती है, लेकिन वही सब कुछ नहीं है। भारत के कैबिनट सेक्रेट्री को कितने लोग जानते हैं, लेकिन बाबा आम्टे, विनोबा जी जैसे लोग अमर हो जाते हैं। तुमने इस तैयारी के दौरान जो ज्ञान अर्जित किया, मेहनत करके संस्कार पैदा किए और इसके परिणामस्वरूप जो व्यक्तित्व विकसित किया, उसमें समाज के निचले तबके में जीने वाली महिलाओं और बच्चों के प्रति करुणा का मेल हो जाने से तुम्हारा व्यक्तित्व और विराट होने वाला है। हम सब इसकी प्रतीक्षा कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि यूपीएससी में प्रतिभागिता के लिए श्रुति का यह छठवां और अंतिम चांस था। यूपीएससी से बाहर होने के बाद उन्होंने कोई बिजनेस या कारपोरेट कंपनी में जाब करने के बजाय समाज सेवा को करियर के रूप में चुना है। वे एक संस्था बनाकर महिलाओं और बच्चों के लिए काम करना चाहती हैं।

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