Diwali 2024: महाकाल मंदिर में 29 अक्टूबर से शुरू होगा उत्सव, 31 अक्टूबर को भस्मारती में मनेगी दीपावली
उज्जैन के महाकाल मंदिर में 29 अक्टूबर से पांच दिवसीय दीपोत्सव की शुरुआत होगी। पांच दिनों तक भगवान महाकाल की विशेष पूजा होगी। 31 अक्टूबर को पांच आरती में भगवान की फुलझड़ियों से पूजा की जाएगी। मंदिर में परंपरा के अनुसार त्योहार मनाया जाएगा।
उज्जैन(Diwali in Mahakal Temple)। महाकालेश्वर मंदिर में 29 अक्टूबर से पांच दिवसीय दीपपर्व की शुरुआत होगी। पुजारी वैभव, आरोग्य व सुख समृद्धि की कामना से महाकाल की महापूजा करेंगे। ज्योतिर्लिंग की पूजन परंपरा में दीपोत्सव का हर दिन खास है।
धनत्रयोदशी से गोवर्धन पूजा तक पांच दिन होने वाली अलग-अलग पूजा में एक संदेश छिपा है। आइए जानते हैं आह्लाद, ऐश्वर्य और आरोहण के इस पर्व में परंपरा के प्रकाश से कैसे जगमगम होगा अवंतिकानाथ का आंगन।
धनतेरस : चांदी के सिक्के से होगी पूजा
धनत्रयोदशी पर 29 अक्टूबर को पुरोहित समिति की ओर से महाकाल की महापूजा की जाएगी। पुरोहित भगवान महाकाल को चांदी का सिक्का भेंट करेंगे। इसमें निहित भाव यह है कि देश सुखी और समृद्धि हो, ताकि प्रजा खुशहाल रहे। आरोग्यता के लिए मंदिर के चिकित्सालय में भगवान धन्वंतरि का पूजन भी किया जाएगा।
दीपावली : पांच आरती में चलेगी फुलझड़ी
31 अक्टूबर को चतुर्दशी के बाद अमावस्या तिथि रहेगी। इसलिए शाम को दीपावली मनाई जाएगी। इस दिन प्रतिदिन होने वाली पांच आरती में भगवान की फुलझड़ी से आरती की जाती है। भाव यह कि अमावस्या के अंधकार को प्रकाश हर लेता है, उसी प्रकार जीवन में बल,बुद्धि व ज्ञान के प्रकाश से उन्नति के पथ पर आगे बढ़ते रहें।
रूप चतुर्दशी : भस्म आरती में मनेगी दीपावली
31 अक्टूबर को तड़के 4 बजे भस्म आरती में दीपावली मनाई जाएगी। भगवान महाकाल को केसर तिल्ली का तेल मिश्रित केसर-चंदन का उबटन लगाकर गर्म जल से स्नान कराया जाएगा। पश्चात नवीन वस्त्र व सोने चांदी के आभूषण धारण कराकर विशेष शृंगार किया जाएगा।
इसके बाद छप्पन पकवानों का भोग लगाकर फुलझड़ी से आरती की जाएगी। पुजारी आतिशबाजी कर दीपावली मनाएंगे। संदेश यह कि आने वाले दिन सर्दी के हैं, शीत ऋतु को सेहत का मौसम कहा गया है। इसमें आयु, आरोग्य व बल बुद्धि के लिए इस प्रकार की दिनचर्या होनी चाहिए।
गोवर्धन पूजा : गोशाला में होगा गोमाता का पूजन
दो नवंबर को कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा पर चिंतामन स्थित मंदिर की गोशाला में गोवर्धन पूजा होगी। पुजारी परिवार की महिलाएं गोवर्धन बनाकर पूजा-अर्चना करेंगी। इसके बाद गोवर्धन के समक्ष गोवंश का पूजन किया जाएगा। संदेश यह कि कृषि प्रधान देश में उन्नत खेती व समृद्धि के लिए गोवंश संवर्धन आवश्यक है।