Bhopal News: वन क्षतिपूर्ति के एवज में वन विभाग को दी जाने वाली भूमि और राशि अब वापस ले सकेंगे उद्योग"/>

Bhopal News: वन क्षतिपूर्ति के एवज में वन विभाग को दी जाने वाली भूमि और राशि अब वापस ले सकेंगे उद्योग

कई बार उद्योगपति प्रोजेक्ट पास होने के बाद भी किसी कारणवश निवेश से पीछे हट जाते हैं तो ऐसी स्थिति में उन्हें न भूमि वापस दी जाती है और न ही राशि लौटाई जाती है।

HIGHLIGHTS

  1. नीति में यह भी प्रावधान रहेगा कि संबंधित कंपनी अपने प्रोजेक्ट की भूमि किसी अन्य कंपनी को भी दे सकेगी।
  2. कंपनी अपने प्रोजेक्ट की भूमि किसी अन्य कंपनी को भी दे सकेगी
  3. वनों को क्षति होती है तो उसके एवज में दो गुना भूमि और पौधारोपण करना होता है।

 भोपाल । वन क्षतिपूर्ति के एवज में कैम्पा फंड के तहत वन विभाग को दी जाने वाली भूमि और पौधारोपण की राशि अब निवेश करने वाली कंपनियां वापस ले सकेंगी। इसके लिए वन विभाग नई नीति बना रहा है। इससे मध्य प्रदेश में निवेश करने वाली उन कंपनियों को लाभ होगा जो निवेश के लिए वन क्षेत्र में आने वाली भूमि के उपयोग के बदले अन्य क्षेत्र में भूमि तो दे देते हैं लेकिन बाद में निवेश की संभावनाएं कम दिखने की वजह से पीछे हट जाते हैं। इस स्थिति में उनके द्वारा वन विभाग को दी गई भूमि व राशि वापस मांगी जाती है, लेकिन नियमों में इसके प्रविधान न होने से ऐसा संभव नहीं हो पाता है, इसलिए मध्य प्रदेश वन विभाग इसको लेकर नई नीति बना रहा है। नीति में यह भी प्रावधान रहेगा कि संबंधित कंपनी अपने प्रोजेक्ट की भूमि किसी अन्य कंपनी को भी दे सकेगी।

अभी यह है व्यवस्था

अभी मध्य प्रदेश में व्यवस्था है कि वन भूमि पर किसी कंपनी को प्रोजेक्ट लगाना होता है और इससे वनों को क्षति होती है तो उसके एवज में दो गुना भूमि और पौधारोपण करना होता है। इसके लिए भारत सरकार के कैम्पा फंड में राशि जमा करानी होती है। 10 प्रतिशत राशि भारत सरकार रखती है शेष 90 प्रतिशत राशि से पौधारोपण सहित अन्य कार्य कराए जाते हैं। कई बार उद्योगपति प्रोजेक्ट पास होने के बाद भी किसी कारणवश निवेश से पीछे हट जाते हैं तो ऐसी स्थिति में उन्हें न भूमि वापस दी जाती है और न ही राशि लौटाई जाती है। इसके चलते कई कंपनियां मध्य प्रदेश में निवेश करने से बचती हैं।

निजी और शासकीय दोनों ही प्रोजेक्ट पर नीति होगी लागू

वन विभाग की यह नीति निजी क्षेत्र के और शासकीय दोनों प्रोजेक्ट पर ही लागू होगी। इससे निर्माण कार्य करने वाले विभागों को भी लाभ होगा। इनमें पीडब्ल्यूडी, पीएचई, जल संसाधन विभाग और खनिज सहित विभिन्न विभागों को लाभ होगा।

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