Shukra Tara Dday 2024: दो जुलाई को उदय होगा शुक्र का तारा, मांगलिक कार्यों के लिए 15 दिन"/> Shukra Tara Dday 2024: दो जुलाई को उदय होगा शुक्र का तारा, मांगलिक कार्यों के लिए 15 दिन"/>

Shukra Tara Dday 2024: दो जुलाई को उदय होगा शुक्र का तारा, मांगलिक कार्यों के लिए 15 दिन

ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला के अनुसार नवग्रह में बृहस्पति को गुरु का पद प्राप्त है। देवताओं के गुरु कहे जाने वाले बृहस्पति अपने विशेष सर्किलो व सितारों के साथ अवस्थित हैं।

HIGHLIGHTS

  1. 17 जुलाई को देव शयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू होगा
  2. ज्योतिष गणना के अनुसार 1 जून को गुरु तथा 2 जुलाई को शुक्र का तारा उदित होगा।
  3. विवाह आदि मांगलिक कार्यों के लिए गुरु व शुक्र का तारा उदित होना आवश्यक है।

उज्जैन। ज्योतिष गणना के अनुसार 1 जून को गुरु तथा 2 जुलाई को शुक्र का तारा उदित होगा। विवाह आदि मांगलिक कार्यों के लिए गुरु व शुक्र का तारा उदित होना आवश्यक है। ऐसे में गुरु शुक्र का तारा उदय होने के बाद 2 जुलाई से 15 दिन मांगलिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त रहेंगे। इसके बाद 17 जुलाई को देशशयनी एकादशी से चातुर्मास का आरंभ होगा। इस दौरान चार माह विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं होंगे।

ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला के अनुसार नवग्रह में बृहस्पति को गुरु का पद प्राप्त है। देवताओं के गुरु कहे जाने वाले बृहस्पति अपने विशेष सर्किलो व सितारों के साथ अवस्थित हैं। इनमें से मुख्य तारा गुरु का जो उसे प्रकाशमान करता है उसका उदय 1 जून को व कुछ पंचांग में 6 जून को होने जा रहा है।

गुरु के तारे के उदित होने से परिवर्तन का चक्र शुरू होता है। धर्म आध्यात्मिकता के प्रति पुनः रुझान बनेगा साथ ही अलग-अलग प्रकार से धार्मिक क्रियाओं का आध्यात्मिक लाभ प्राप्त हो सकेगा। गुरु के उदय होते ही कीमती धातुओं का बाजार अलग प्रकार की उठापटक में प्रवेश करेगा। वहीं धर्म अध्यात्म से जुड़े विषयों पर संशोधन की स्थिति बनेगी। धर्म अध्यात्म और शिक्षा के स्तर में परिवर्तन दिखाई देगा।

शुक्र ग्रह को भी नवग्रह में विशेष स्थान प्राप्त है विवाह मांगलिक आदि कार्यो के लिए शुक्र के तारे का उदित होने का विशेष महत्व बताया जाता है। 2 जुलाई को शुक्र का तारा उदित होगा और 7 जुलाई के बाद अलग-अलग प्रकार के मांगलिक कार्यों का आरंभ पुनः हो जाएगा। इन दोनों तारों के उदित होने के बाद देवशयनी एकादशी तक विवाह आदि कार्य संपादित किया जा सकेंगे। देव शयनी एकादशी के बाद चातुर्मास का आरंभ होगा।

जुलाई में विवाह वास्तु आदि कार्यों के मुहूर्त

जुलाई माह में विवाह के मुहूर्त 9, 11, 15 तारीख विशेष है वहीं गृह वास्तु का भी अनुक्रम शुभ नक्षत्र योग में रहेगा।

भागवत पारायण तथा श्रवण का विशेष पुण्य

गुरु और शुक्र के तारे के उदित होने से धर्म आध्यात्मिकता के प्रति रुझान रखने वाले भक्तों को धार्मिक सत्संग, तीर्थ यात्रा आदि का लाभ मिलेगा। क्योंकि इस कालखंड में सूर्य की संक्रांति तथा ग्रहों के अलग-अलग प्रकार के संबंध धार्मिक क्रियाकलापों का अर्थात दान दीक्षा आदि का शुभ फल प्रदान करते हैं। तीर्थ पर जाकर के कथा श्रवण करना का विशेष लाभ प्राप्त होता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button