रमन सिंह और उसके बेटे ने अर्जित की अकूत संपत्ति… हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस
बिलासपुर. आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह और उनके पुत्र अभिषेक सिंह के खिलाफ हाईकोर्ट ने एक याचिका स्वीकार कर ली है. हाईकोर्ट ने डाक्टर रमन सिंह के अलावा अभिषेक सिंह और संबंधित पक्षों से छह हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने के आदेश दिया है. जस्टिस आरसी सामंत की एकल पीठ ने कांग्रेस नेता विनोद तिवारी की याचिका पर सुनवाई की.याचिकाकर्ता ने बताया कि सांसद बनने के बाद अभिषेक सिंह की संपत्ति में भारी इजाफा हुआ है. उनका नाम पनामा पेपर्स में भी शामिल था. प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी उनके खिलाफ एक शिकायत को जांच के लिए राज्य शासन को भेजा था. याचिकाकर्ता ने बताया कि डाक्टर रमन सिंह 2003 से 2018 तक छतीसगढ़ के मुख्यमंत्री थे. वर्ष 1998 में चुनाव हारने के बाद रमन सिंह कर्ज में थे. बाद में वे वर्ष 2003 से वर्ष 2018 तक मुख्यमंत्री के पद पर रहे. इनके परिवार के पास कोई आय का कोई खास स्रोत नहीं है. मगर उनके द्वारा चुनावी शपथ पत्र में सोना, जमीन, और लाखों रूपए की जानकारी दी गई थी. ये सब आया कहां से इसकी जानकारी नहीं है. तिवारी ने बताया कि अभिषेक सिंह ने अपने पिता, और तत्कालीन मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह के प्रभाव के चलते काफी संपत्ति अर्जित की है. यह उनके द्वारा चुनाव लड़ते समय आयोग को दिए हलफनामे से कहीं ज्यादा है. तिवारी ने ईओडब्ल्यू से अभिषेक सिंह की संपत्ति की जांच की मांग की है. जस्टिस श्री सामंत ने याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है. इस पूरे मामले में सीबीआई, ईडी, और ईओडब्ल्यू को भी छह हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता हर्ष परगनिया ने पैरवी की. याचिकाकर्ता ने बताया गया कि रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह, अपनी दोहरी पहचान रखते हैं. इस पहचान के जरिए उन्होंने तीन कंपनियां बनाई हैं और कई करोड़ रुपये का निवेश किया है. इन कंपनियों में से प्रत्येक की गतिविधियां बेहद संदिग्ध हैं और इसकी जांच की जरूरत है. एक कंपनी में इंटीग्रेटेड टेक-इंफ्रा बिजनेस सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड- अभिषेक सिंह ने विदेशी मुद्रा में पहले वर्ष में ही करोड़ों मूल्य के अपने शेयर बेचने से पहले, 90 फीसदी से अधिक हानि पर असामान्य लाभ अर्जित किया. एक अन्य शैले एस्टेट्स प्राइवेट लिमिटेड, विभिन्न संदिग्ध निवेश-कई करोड़ों-के स्रोतों से किए गए थे. जिनका अभी तक पूर्ण रूप से खुलासा नहीं किया गया है.सिंह और उनकी पत्नी के स्वामित्व वाले मूल्यवान शेयरों को उनके मूल्य के एक छोटे से अंश पर बेचा गया था. तीसरी कंपनी-मुशिन इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड- और संबंधित कंपनियों पर एक नजदीकी नजर डालने से क्रॉस निवेश का पता चलता है, जिसका उद्देश्य स्पष्ट रूप से शामिल धन के वास्तविक स्रोतों को छिपाना है. यहां भी हम कंपनियों में शेयरों की बिक्री को 97 फीसदी तक की अकथनीय हानि पर देखते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि व्यापार रसीदें बड़ी मात्रा में चल रही हैं, उनके पीछे के विवरण की आपूर्ति नहीं की गई है. इसे इस तथ्य में जोड़ें कि इनमें से कम से कम दो कंपनियों की फेमा उल्लंघन के लिए जांच की जानी चाहिए.हाईकोर्ट में स्वीकार की गई इस याचिका के बाद डाक्टर रमन सिंह और उनके बेटे की मुसीबत बढ़ सकती हैं. कहा जा रहा है कि इस जांच के दौरान उन अफसरों की भी लपेटा में लिया जा सकता है जो डाक्टर रमन सिंह के करीबी रहते हुए उनके द्वारा किए गए निवेश में भागीदार रहे हैं. कानून के जानकार का कहना है कि इस जांच की आग छत्तीसगढ़ के एक पूर्व मुख्य सचिव, एक भगोड़े पुलिस अफसर, जेल में बंद एक अफसर और संविदा में पदस्थ रहे एक प्रमुख अफसर तक भी पहुंच सकती हैं.इसके अलावा कई छिपे हुए निवेशकों का चेहरा भी उज़ागर हो सकता है.