Tax Free Income: विरासत में मिली है संपत्ति तो नहीं लगेगा टैक्स, यहां पढ़ें आयकर से जुड़े काम के टिप्स
HIGHLIGHTS
- यदि शादी में किसी दोस्त या रिश्तेदार से कोई उपहार या महंगा गिफ्ट मिला है तो उस पर भी आयकर नहीं लगता है।
- रिकॉर्ड में यह शो करना जरूरी है कि जो गिफ्ट मिला है, वह शादी की तारीख के आसपास ही मिला हो।
- आपको माता-पिता से विरासत में कोई दौलत, जेवरात या नकदी मिली है तो आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा।
बिजनेस डेस्क, इंदौर। यदि आपकी कमाई पर भी भारी टैक्स लग रहा है तो आप टैक्स बचाना चाहते हैं तो सरकार की ओर से मिलने वाली कई रियायतों का लाभ ले सकते हैं। यदि आप आयकर के दायरे में आते हैं तो आपको इन बातों की जानकारी जरूर होना चाहिए कि कौन-कौन सी संपत्ति टैक्स के दायरे में नहीं आती है और किस तरह के इन्वेस्टमेंट के जरिए आप टैक्स बचा सकते हैं। इस बारे में ज्यादा जानकारी दे रहे हैं आयकर विषयों के जानकार अर्पित भावसार।
वसीयत में मिली दौलत पर नहीं लगता टैक्स
यदि आपको माता-पिता से विरासत में कोई दौलत, जेवरात या नकदी मिली है तो आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा। इसके अलावा वसीयत के जरिए भी यदि कोई संपत्ति मिली है तो उस पर टैक्स नहीं लगता है। हालांकि ऐसी संपत्ति से यदि कोई आय होती है तो उस पर आपको टैक्स देना होगा।
शादी में मिला गिफ्ट
यदि शादी में किसी दोस्त या रिश्तेदार से कोई उपहार या महंगा गिफ्ट मिला है तो उस पर भी आयकर नहीं लगता है। हालांकि रिकॉर्ड में यह शो करना जरूरी है कि जो गिफ्ट मिला है, वह शादी की तारीख के आसपास ही मिला हो। यदि आपकी शादी आज है और रिकॉर्ड में गिफ्ट की प्राप्ति 6 माह बाद दिखाई दे रही होगी तो ऐसी संपत्ति पर टैक्स देना होगा। इसके अलावा यदि गिफ्ट की वैल्यू 50 हजार रुपये से अधिक होती है तो भी टैक्स देना होगा।
पार्टनरशिप फर्म से मिले लाभ पर टैक्स नहीं
यदि आप किसी साझेदारी फर्म में काम कर रहे हैं तो शेयर ऑफ प्रॉफिट के तौर पर कोई कमाई की है तो टैक्स नहीं देना होगा। दरअसल फर्म से होने वाली कमाई पर टैक्स पार्टनरशिप वाली फर्म पहले ही जमा कर चुकी होती है। ऐसे में आपके हिस्से में आई राशि पर फिर से टैक्स नहीं देना पड़ता है। हालांकि फर्म के कर्मचारी के रूप में यदि आपको सैलरी मिल रही है तो टैक्स चुकाना होगा।
लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदी
लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी या मैच्योरिटी वाली रकम पर भी टैक्स नहीं लगता है। यह पॉलिसी का सालाना प्रीमियम उसके सम अश्योर्ड के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। यदि यह लाभ तय सीमा से ज्यादा होता है तो टैक्स लगता है। कुछ विशेष मामलों में 15 फीसदी तक की छूट हो सकती है।