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Chhattisgarh: डिफाल्टर कंपनियों से होगी ब्‍याज की वसूली, EPFO की स्‍पेशल टीमें वसूलेगी प्राविडेंट फंड, अंशदान, क्षतिपूर्ति

HIGHLIGHTS

  1. – डिफाल्टर कंपनियों से प्राविडेंट फंड, अंशदान, क्षतिपूर्ति और ब्याज की वसूली शुरू
  2. – कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने अधिकारियों और कर्मचारियों की विशेष टीमें बनाई
  3. – दो माह से डिफाल्ट किए गए कंपनियों से पांच प्रतिशत की दर से ब्याज की होगी वसूली

पराग मिश्रा/रायपुर। Chhattisgarh: ईपीएफओ (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) द्वारा डिफाल्टर संस्थानों से बकाया प्रोविडेंट फंड, अंशदान, क्षतिपूर्ति और ब्याज की वसूली के लिए अधिकारियों व कर्मचारियों की विशेष टीमें बनाई गई है। विभाग का कहना है कि किसी भी कंपनी को बख्शा नहीं जाएगा और दो माह से डिफाल्ट किए गए कंपनियों से पांच प्रतिशत की दर से ब्याज की वसूली की जाएगी। इसके साथ ही दो माह से ज्यादा डिफाल्टर हुई कंपनियों से अलग-अलग समय के अुसार ब्याज की वसूली होगी।

विभागीय अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार 8 मार्च तक 29.23 करोड़ की कुल एरियर्स बकाया राशि में से 17.62 करोड़ यानि 60.28 प्रतिशत की वसूली की जा चुकी है। इसके साथ ही 63 करोड़ के कुल करेंट डिमांड में से 57.5 करोड़ की राशि यानि 91.3 प्रतिशत की वसूली हो चुकी है।

बताया जा रहा है कि कार्यालय द्वारा करंट डिमांड की शत प्रतिशत वसूली तथा एरियर्स बकाया कि 80 प्रतिशत वसूली का लक्ष्य है। इन दिनों ईपीएफओ नियमों का उल्लंघन करने वाले संस्थानों से वसूली के साथ ही उन्हें नोटिस भेजने का काम भी बड़ी तेजी से कियाजा रहा है। 31 मार्च तक संस्थानों से वसूली भी की जानी है।

राज्य के विभिन्न जिलों में भेजी गई टीमें

बताया जा रहा है कि डिपाल्टर कंपनियों से वसूली के लिए प्रदेश के विभिन्न जिलों में अधिकारियों की टीमें भेजी गई है। यह टीमें कर्मचारी भविष्य निधि एवं विविध प्रकीर्ण उपबंध अधिनियम,1952 के प्रावधानों के तहत डिफाल्टर संस्थानों से बकाया राशि की वसूली में लगी हुई है।

डिफाल्टर कंपनियों पर यह होगी कार्रवाई

रिकवरी आफिसर जयशंकर राय( रीजनल पीएफ कमिश्नर-1) ने बताया कि बकाया राशि को वसूलने के लिए डिफाल्टर संस्थानों के विरुद्ध ईपीएफओ के नियमों के तहत बैंक खाते की जब्ती, चल तथा अचल संपत्ति को जब्त करना, जब्त संपत्ति की नीलामी, डिफाल्टर की गिरफ्तारी तथा उसे जेल की भी सजा हो सकती है।

उन्होंने बताया कि इसके साथ ही भारतीय दंड संहिता की धारा 406-409 के तहत एफआइआर दर्ज करने के साथ ही कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम 1952 की धारा 14 के तहत डिफाल्टर नियोक्ताओं पर अभियोजन संबंधी कार्रवाई भी की जा सकती है।

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