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Bargad Tree Worship: बरगद के पेड़ पर क्यों बांधा जाता है कलावा? जानिए इसके लाभ

HIGHLIGHTS

  1. वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ को भी बहुत शुभ माना जाता है।
  2. इसकी पूजा करने के साथ-साथ इस पर कलावा भी बांधा जाता है।
  3. मनचाही कामना की पूर्ति के लिए भी बरगद के पेड़ पर कलावा बांधा जाता है

धर्म डेस्क, इंदौर। Bargad Tree Worship: सनातन धर्म में कुछ विशेष पेड़-पौधों की पूजा करने का महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार, सभी देवी-देवताओं का संबंध किसी न किसी पेड़-पौधे से है। माना जाता है कि यदि विशेष पेड़-पौधों की विधि-विधान से पूजा की जाए, तो शुभ फलों की प्राप्ति होती है। ऐसे में वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ को भी बहुत शुभ माना जाता है। इसकी पूजा करने के साथ-साथ इस पर कलावा भी बांधा जाता है। ऐसा करने से कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बरगद के पेड़ पर कलावा क्यों बांधा जाता है। आज हम आपको इसी बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।

इस कारण बांधा जाता है कलावा

धार्मिक मान्यता के अनुसार, बरगद के पेड़ में भगवान विष्णु, भगवान शिव और भगवान ब्रह्मा का वास होता है। इसीलिए इस पेड़ की पूजा की जाती है। ऐसा भी माना जाता है कि इस पेड़ की पूजा करने से सौभाग्य, सुख और समृद्धि प्राप्त होती है। इसके अलावा मनचाही कामना की पूर्ति के लिए भी बरगद के पेड़ पर कलावा बांधा जाता है। ऐसा करने से देवी-देवताओं की कृपा भी प्राप्त होती है। साथ ही घर में सुख-शांति बनी रहती है।

मिलते हैं कई लाभ

बरगद के पेड़ पर कलावा बांधने से दांपत्य जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। साथ ही पति-पत्नी का रिश्ता अटूट बनता है। कहा जाता है कि इस पेड़ पर कलावा बांधने से अकाल मृत्यु नहीं होती है। सावित्री व्रत के दिन इस वृक्ष की विधिपूर्वक पूजा की जाती है।

ब्रह्मा, विष्णु, महेश का वास

पौराणिक कथाओं के अनुसार, वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है। भगवान शिव बरगद के पेड़ के शीर्ष का प्रतिनिधित्व करते हैं। जबकि वृक्ष की जड़ें ब्रह्मा का प्रतिनिधित्व करती हैं। पेड़ का तना श्री हरि विष्णु का प्रतिनिधित्व करता है। बरगद के पेड़ की आयु सबसे लंबी होती है। इसीलिए इसे “अक्षयवट” भी कहा जाता है।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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