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Batuk Bhairav Jayanti 2024: भगवान शिव का रूप माने जाते हैं बटुक भैरव, पढ़िए पौराणिक कथा

HIGHLIGHTS

  1. बटुक भैरव की पूजा करने से असफल होते हैं शत्रुओं और विरोधी।
  2. बटुक भैरव जयंती पर भगवान शिव ने धारण किया था भैरव रूप।
  3. इस बार रविवार को पड़ रही है बटुक भैरव जयंती।

धर्म डेस्क, इंदौर। Batuk Bhairav Jayanti 2024: बटुक भैरव जयंती हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाई जाती है। इस बार बटुक भैरव जयंती 16 जून, रविवार को मनाई जाने वाली है। इस दिन भगवान शिव ने भैरव रूप धारण किया था। शास्त्रों में उल्लेख है कि वेदों में जिस परमात्मा का नाम रुद्र है, तंत्र शास्त्र में उनका वर्णन भैरव के रूप में किया गया है। बटुक भैरव भगवान शिव का बाल रूप हैं और उनका विकराल, रौद्र रूप है। बटुक भैरव की पूजा करने से शत्रुओं और विरोधी असफल होते हैं।

बटुक भैरव जयंती से जुड़ी पौराणिक कथा

प्राचीन काल में आपाद नामक एक राक्षस था। आपाद के अत्याचार बहुत बढ़ गए थे। उसके अत्याचारों से तीनों लोकों के देवी-देवता और पृथ्वी पर मनुष्य त्रस्त थे। आपाद को यह वरदान था कि कोई भी देवी-देवता उसे मार नहीं सकता था। केवल पांच साल का बच्चा ही उसे मार सकता था। तब देवी-देवता अपनी समस्या लेकर भगवान शिव के पास गए। शिव जी और देवी-देवताओं की शक्ति से शिव का जन्म पांच वर्ष के बालक के रूप में हुआ। इस बालक का नाम बटुक भैरव रखा गया। इसके बाद इस बालक ने आपदा नामक राक्षस का वध किया था।

बटुक भैरव की पूजा के लाभ

इस बार बटुक भैरव जयंती रविवार को मनाई जाने वाली है। इस कारण इसका और भी महत्व बढ़ गया है। रविवार के दिन भगवान बटुक भैरव की पूजा करने से बल, बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है। इस दिन राहु-केतु दोष से छुटकारा पाने के लिए बटुक भैरव की विशेष पूजा करना चाहिए। कहा जाता है कि इस दिन काले कुत्ते की पूजा करना चाहिए और उसे सरसों के तेल से चुपड़ी हुई रोटी खिलानी चाहिए। ऐसा करने से लाभ प्राप्त होता है। इस दौरान ॐ बटुक भैरवाय नमः मंत्र का जाप करना चाहिए।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

 
 

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