Sheshnag: भगवान ब्रह्मा के कहने पर शेषनाग ने उठाया पृथ्वी का भार, पढ़िए पौराणिक कथा"/> Sheshnag: भगवान ब्रह्मा के कहने पर शेषनाग ने उठाया पृथ्वी का भार, पढ़िए पौराणिक कथा"/>

Sheshnag: भगवान ब्रह्मा के कहने पर शेषनाग ने उठाया पृथ्वी का भार, पढ़िए पौराणिक कथा

कहा जाता है कि शेषनाग ने अपनी मां के धोखे से क्रोधित होकर उन्हें त्याग दिया था, जिसके बाद वह हमेशा के लिए भगवान विष्णु की शरण में चले गए।

HIGHLIGHTS

  1. शेषनाग के अवतारों का वर्णन महाभारत, रामायण और कई पुराणों में मिलता है।
  2. ब्रह्मा के पुत्र प्रजापति कश्यप की दो पत्नियां थीं।
  3. नागों में सबसे पहले शेषनाग प्रकट हुए थे।

धर्म डेस्क, इंदौर। Rishi Kashyapa son Sheshnag: नाग कुल में सबसे पहले शेषनाग का जन्म हुआ। इस कारण इन्हें ब्रह्मांड का पहला नाग माना जाता है। शेषनाग के पास 1 हजार फन होते हैं, जिन पर उन्होंने ग्रहों सहित पूरे ब्रह्मांड का भार उठाया है। सृष्टि की रचना और विनाश में भी शेषनाग की विशेष भूमिका है। शेषनाग के अवतारों का वर्णन महाभारत, रामायण और कई अन्य पुराणों में भी मिलता है। कहा जाता है कि शेषनाग ने अपनी मां के धोखे से क्रोधित होकर उन्हें त्याग दिया था, जिसके बाद वह हमेशा के लिए भगवान विष्णु की शरण में चले गए।

100 सांपों को दिया जन्म

ब्रह्मा के पुत्र प्रजापति कश्यप की दो पत्नियां थीं। कद्रू और विनता, जो दक्ष प्रजापति की पुत्रियां थीं। प्रसन्न होने पर ऋषि कश्यप ने विनिता और कद्रू से अपनी पसंद का वरदान मांगने को कहा। इसके बाद कद्रू ने अपने समान तेजस्वी एक हजार सर्पों को पुत्र के रूप में पाने का वरदान मांगा और विनता ने केवल 2 शक्तिशाली पुत्रों का वरदान मांगा। वरदान प्राप्त करने के बाद कद्रू ने 100 सांपों को जन्म दिया। नागों में सबसे पहले शेषनाग प्रकट हुए। विनीता से पक्षी उत्पन्न हुए।

अपनी मां और भाइयों का किया त्याग

कद्रू और विनिता दक्ष प्रजापति की पुत्रियां थीं, फिर भी कद्रू, विनिता से ईर्ष्या करती थी। उसने एक बार धोखे से विनिता को खेल में हरा दिया और उसे अपनी दासी बना लिया। जब शेषनाग ने देखा कि उनकी मां और भाइयों ने उसकी मौसी विनिता के साथ विश्वासघात किया है, तो वह बहुत दुखी हुआ। उन्होंने उसी समय अपनी मां और भाइयों को छोड़ दिया। फिर वह गंधमादन पर्वत पर तपस्या करने लगे।

शेषनाग ने कठोर तपस्या करके ब्रह्माजी को प्रसन्न किया। उन्होंने ब्रह्मा जी से कहा, मेरे सभी भाई मंदबुद्धि हैं। इसलिए मैं उनके साथ नहीं रहना चाहता। वे माता विनिता तथा उनकी संतानों से घृणा करते हैं। शेषनाग की इस निस्वार्थ भक्ति से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि तुम्हारी बुद्धि कभी भी धर्म से विचलित नहीं होगी। पृथ्वी निरंतर घूमती रहती है, इसलिए इसे फन पर रखो, ताकि यह स्थिर हो जाए। कहा जाता है कि तभी से शेषनाग ने ही पृथ्वी का भार उठाया हुआ है।

शेषनाग ने भगवान विष्णु के साथ कई अवतार लिए हैं। महाभारत ग्रंथ के अनुसार, त्रेता युग में शेषनाग ने लक्ष्मण के रूप में और फिर द्वापर युग में बलराम जी के रूप में अवतार लिया।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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