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Thyroid Care: ठंड में बढ़ जाती है थाइराइड की समस्या, इन चीजों का रखें ध्यान

Thyroid Care: भारत में हृदय रोग और मधुमेह के बाद सबसे ज्यादा होने वाली बीमारियों में पहला नाम थायराइड का आता है।

Thyroid Care , इंदौर। सर्दी के दिनों में थाईराइड की समस्या बढ़ जाती है। सर्दी में थायराइड ग्लैंड ही शरीर को गर्म रखता है ऐसे में जब ठंड ज्यादा पड़ती है तो शरीर को गर्म रखने के लिए इस ग्लैंड पर दबाव पड़ता है। हाइपो थायराइड के मरीजों में थायरोक्सिन हार्मोन कम बनने से शरीर की सर्दी से लड़ने की ताकत घटने लगती है और कोल्ड-कफ, बुखार आसानी से हो जाता है। देश में पहले ही 4 करोड़ से ज्यादा थायराइड के मरीज हैं।

 

यह बात एंडोक्राइनोलाजिस्ट डा. अभ्युदय वर्मा ने संस्था क्रिएट स्टोरी द्वारा आयोजित वेबिनार में कहीं। डा. वर्मा ने जानकारी साझा करते हुए बताया कि 60 प्रतिशत मरीजों को इसके शुरुआती लक्षण ही समझ नहीं आते। हाल ही में हुए अध्ययन से यह बात सामने आई है कि मामूली सर्दी-खांसी, जुकाम भी थायराइड का संकेत हो सकता है। अब पहाड़ों पर बर्फबारी भी हो गई है, जिससे धीरे- धीरे मौसम ठंडा होगा और ऐसे में थायराइड को लेकर असमंजस भी बढ़ेगा।

 

भारत में हृदय रोग और मधुमेह के बाद सबसे ज्यादा होने वाली बीमारियों में पहला नाम थायराइड का आता है। गले में दर्द, सर्दी-खांसी से लेकर बुखार की समस्या यदि आपको लगातार रहती है तो यह थायराइड ग्रंथि के तीसरे प्रकार की समस्या थायराइडाइटिस के लक्षण हो सकते हैं। यदि आपको लग रहा है कि ठंड में आपके थायराइड के लक्षण जैसे थकान, कब्ज, रूखी त्वचा, वजन बढ़ना, आंखों में सूजन, मांसपेशियों में दर्द आदि नजर आए तो आप सचेत हो जाएं। ऐसी स्थिति में आपको कुछ बातों पर ध्यान देना होगा। उदहारण के लिए आपको समय पर ब्लूस टेस्ट कराना चाहिए। दवाओं का ध्यान रखना चाहिए। धूप में कुछ देर बैठें, शारीरिक श्रम करें और मीठा खाने से परहेज करना चाहिए। पर्याप्त नींद लेना चाहिए और तनाव से बचना चाहिए।

स्वास्थ्य में जटिलताएं हो सकती हैं

 

ठंड का मौसम थायरॉयड उत्तेजक हार्मोन (टीएसएच) के स्तर को प्रभावित करता है, जिससे इसमें वृद्धि आ जाती है। यदि आप हाइपोथायरायडिज्म के शिकार हैं और थायराइड की दवाओं का सेवन करते हैं, तो इसके साथ आपको दिनचर्या को ठीक रखना भी जरूरी हो जाता है।

 

टीएसएच हार्मोन के स्तर में होने वाली वृद्धि के कारण कई तरह की स्वास्थ्य जटिलताएं हो सकती हैं, इसमें अधिक थकान महसूस होने, अवसाद, ब्रेन फॉग और वजन बढ़ने का जोखिम अधिक देखा जाता रहा है। स्थिति के सही निदान और समस्या के बारे में जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क में रहें। वास्तविक स्थिति के लिए नियमित जांच और रक्त स्तर की जांच करवाएं ।
 

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