RBI MPC Meeting: रेपो रेट 6.5 फीसदी पर बरकरार, EMI में नहीं होगा कोई बदलाव
RBI MPC Meeting मुद्रास्फीति संबंधी चिंताओं और अन्य वैश्विक कारकों के बीच RBI इस बार भी रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रख सकता है।
HIGHLIGHTS
- भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति का बैठक का आज 6 अक्टूबर को तीसरा दिन था।
- ऐसी संभावना पहले से जताई जा रही थी कि RBI रेपो रेट को एक बार फिर स्थिर रख सकता है।
- आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक हर 2 महीनों में एक बार होती है।
पीटीआई, नई दिल्ली। आपने जो भी कर्ज लिया है, उस पर लगने वाली ब्याज दरों में फिलहाल कोई बदलाव नहीं होगा। यह फैसला भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति का बैठक के बाद लिया गया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास अब से कुछ देर पहले यह जानकारी दी है कि केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में फिलहाल कोई बदलाव नहीं किया है। रिजर्व बैंक ने रेपो रेट 6.5 फीसदी ही रखने का फैसला किया है।
हर दो माह में होती है बैठक
गौरतलब है कि आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक हर 2 महीनों में एक बार होती है। इस बैठक के दूसरे दिन होने विशेषज्ञों ने कहा कि मुद्रास्फीति संबंधी चिंताओं और अन्य वैश्विक कारकों के बीच RBI इस बार भी रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रख सकता है और इस कारण से ब्याज दरों में किसी भी प्रकार के बदलाव की संभावना नहीं है। समाचार एजेंसी PTI को क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डी. जोशी ने जानकारी दी है कि
‘मुझे लगता है कि अगस्त में बीती MPC बैठक और इस बार के बीच मुद्रास्फीति बढ़ी है, विकास मजबूत बना हुआ है, जबकि वैश्विक कारक इस अर्थ में थोड़े प्रतिकूल हो गए हैं कि US फेडरल रिजर्व का रुख अभी भी आक्रामक है। इसलिए RBI से आगामी नीति में नीतिगत दरों पर यथास्थिति बनाए रखने की उम्मीद है।’
डी जोशी के मुताबिक, RBI मुद्रास्फीति को कंट्रोल में करने पर ज्यादा ध्यान देगा, क्योंकि विकास प्रक्रिया फिलहाल मजबूत और दृढ़ स्थिति में है। हालांकि इस दौरान तेल की कीमतों में लगातार हो रहे उतार-चढ़ाव पर नजर रखने की जरूरत है।
आरबीआई को केंद्र सरकार का आदेश
केंद्र सरकार ने RBI को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत पर स्थिर रखने को कहा है, जिसमें 2 प्रतिशत का दोनों तरफ मार्जिन हो। आपको बता दें कि सब्जियों और अन्य जरूरी खाद्य वस्तुओं की कीमत बढ़ने से जुलाई में खुदरा मुद्रास्फीति 15 माह के उच्चतम स्तर 7.44 प्रतिशत पर पहुंच गई थी।