अन्‍य देशों की तुलना में भारत को सबसे अधिक प्रिंट ADEX हिस्सेदारी का गौरव प्राप्त – सैम बलसारा

नई दिल्ली। भारत का एडेक्स में 1.2% का योगदान है। वहीं, भारतीय प्रिंट 6% का योगदान देता है। वैश्विव एडेक्स में प्रिंट की हिस्सेदारी 4% है। यह देश में 21% है और सभी देशों की तुलना में सबसे अधिक एडेक्स हिस्सेदारी होने का गौरव भारत को प्राप्त है। चीन में जहां प्रिंट एडेक्स की हिस्सेदारी शून्य है। यूके और यूएस की हिस्सेदारी 3% है। Madison World के चेयरमैन सैम बलसारा ने इस आंकड़े को लेकर समीक्षा की है।

साल 2012 में भारत में प्रिंट एडेक्स की हिस्सेदारी 42% थी। 2022 में पिच मैडिसन रिपोर्ट का अनुमान है कि सिर्फ 21% रहा, लेकिन ये आंकड़ा कम नहीं है। यह 20,133 करोड़ है। अच्छी खबर यह है कि पिछले 10 सालों में प्रिंट एडेक्स 50% से अधिक बढ़ गया है। जब डिजिटल की हिस्सेदारी अन्य सभी मीडिया पर भारी पड़ रहा था। इस दौरान एडेक्स में 10 गुना वृद्धि हुई। जिससे प्रिंट की हिस्सेदारी आधी हो गई।

सैम बलसारा का कहना है कि प्रिंट में विज्ञापनदाताओं द्वारा उपभोग की जाने वाली जगह वैसी ही बनी हुई है। एफएमसीसी, रियल एस्टेट, ऑटोमोबाइल और एजुकेशन टॉप 4 कैटेगरी हैं। जिनका काम प्रिंट के बिना नहीं चलता।

अगर भाषा के आधार पर आंकड़ों को देखा जाएं तो पिछले एक दशक में बहुत कुछ नहीं बदला है। विज्ञापनदाताओं के लिए अंग्रेजी, हिंदी और मराठी तीन शीर्ष भाषाएं बनी हुई हैं। सैम के अनुसार पहले पन्नों पर खपत की गई नाटकीय रूप से 10 से 24% की बढ़ोतरी हुई है। यह विज्ञापनदाता की प्रिंट के इस्तेमाल के माध्यम से एक बड़ा प्रभाव या उपयोग न करने की इच्छा को दिखाता है।

एक आश्चर्य की बात नहीं है कि वर्गीकृत और नियुक्तियों द्वारा कब्जा किए गए स्थान का प्रतिशत नाटकीय रूप से 39% से घटकर 23% हो गया है, लेकिन सार्वजनिक सूचनाओं का योगदान नाटकीय रूप से 11% से बढ़कर 31% हो गया है।

सैम बलसारा ने कहा कि अगले पांच सालों में भारत में प्रिंट एडेक्स में वृद्धि कम रहेगी, क्योंकि नए विज्ञापनदाता मार्केट में आएंगे। खासतौर पर कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, ऑटो और सर्विसेज में नए ब्रांड लॉन्च होंगे।

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