Statue Of Oneness: CM शिवराज आज करेंगे स्टेच्यू आफ वननेस का अनावरण, हजारों साधु-संत होंगे शामिल, करेंगे विमर्श
Statue of Oneness: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कल स्टेच्यू आफ वननेस का अनावरण करेंगे। इस दौरान सिद्धवरकूट पर होगा ब्रह्मोत्सव आयोजित किया जाएगा। जिसमें कई साधु-संत शामिल होंगे।
HIGHLIGHTS
- स्टेच्यू आफ वननेस का अनावरण कल
- सिद्धवरकूट पर होगा ब्रह्मोत्सव
- हजारों साधु-संत जुटेंगे
Statue of Oneness खंडवा। ओंकारेश्वर में एकात्म धाम का निर्माण किया जा रहा है। इसके साथ ही 108 फीट ऊंची बहु धातु से निर्मित शंकराचार्य की एकात्मता की प्रतिमा यानी स्टेच्यू आफ वननेस का भी निर्माण किया गया है। जिसका 21 सितंबर को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अनावरण करेंगे। साथ ही अद्वैत लोक का भी शिलान्यास करेंगे।
सीएम ने दिए निर्देश
ओंकारेश्वर में होने होने इस कार्यक्रम को लेकर सीएम शिवराज ने बैठक कर कार्यक्रम भव्य रूप से आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही परंपरागत रूप से साधु-संतों का स्वागत-सत्कार करने और जनप्रतिनिधियों को भी कार्यक्रम से जोड़ने के निर्देश दिए। इसके अलावा बारिश को देखते हुए व्यवस्थाएं करने की बात कही है।
सिद्धवरकूट पर ब्रह्मोत्सव
सिद्धवरकूट पर ब्रह्मोत्सव का आयोजन किया जाएगा। जिसमें एकात्मकता की यात्रा फिल्म प्रदर्शित की जाएगी। इसके अलावा संगीत वेदोच्चार, आचार्य शंकर के स्त्रोतों पर एकाग्र समवेत नृत्य प्रस्तुति शिवोहम और शंकराचार्य सांस्कृतिक एकता न्यास द्वारा प्रकाशित एकात्म धाम और अद्वैत युवा जागरण शिविर से संबंधित पुस्तकों का विमोचन किया जाएगा। कार्यक्रम में साधु-संत भी शामिल होंगे। जो कि संत विमर्श करेंगे। इस दौरान सीएम शिवराज भाषणा भी देंगे।
मान्धाता पर्वत पर जारी हवन
बता दें कि इस अनावरण कार्यक्रम से पूर्व मान्धाता पर्वत पर उत्तरकाशी के स्वामी ब्रहोन्द्रानन्द और 32 संन्यासियों द्वारा प्रस्थानत्रय भाष्य पारायण और दक्षिणाम्नाय श्रृंगेरी शारदा पीठ के मार्गदर्शन में देश के लगभग 300 विख्यात वैदिक आचार्यों द्वारा वैदिक रीति पूजन और 21 कुंडीय हवन किया जा रहा है।
एकात्मता की मूर्ति का अनावरण और अद्वैत लोक का भूमि और शिला पूजन दक्षिणाम्नाय श्रृंगेरी शारदा पीठ के मार्गदर्शन में किया जाएगा।
प्रतिमा क्यों है खास
‘एकात्म धाम’ में शंकराचार्य की 12 वर्षीय बाल रूप की प्रतिमा स्थापित होगी। यह प्रतिमा उस क्षण से प्रेरित होगी जब, श्री गुरु गोविंद पाद ने भगवतपाद श्री शंकर को काशी की दिशा में जाने का आदेश देते हुए कहा कि, जाओ सनातन वेदांत अद्वैत परंपरा की पुनः स्थापना करो। यह वही मुद्रा है, जब आचार्य शंकर गुरु का आदेश शिरोधार्य करके काशी की ओर चले थे और जन-जन में चेतना जागृत कर के लोगों को मानवता का पाठ पढ़ाया था।