Festival Rules: इन त्योहारों पर नहीं बनानी चाहिए रोटी, नाराज हो जाएंगी मां लक्ष्मी

"/>

Festival Rules: इन त्योहारों पर नहीं बनानी चाहिए रोटी, नाराज हो जाएंगी मां लक्ष्मी

HighLights

  • रोटी प्रमुखता से खाया जाने वाला भोजन है।
  • कई ऐसे मौके और त्योहार आते हैं, जब रोटी बनाना अशुभ माना जाता है।
  • दिवाली पर घर में रोटियां नहीं बनानी चाहिए।

Festival Rules: हिंदू धर्म में साल भर में कई बड़े त्योहार मनाए जाते हैं। हर एक त्योहार का अपना महत्व होता है। त्योहार लोगों के लिए खुशियां लेकर आता है। इस दिन लोग भगवान को भोग लगाने के लिए खास पकवान बनाते हैं। वहीं, रोजमर्रा के जीवन में रोटी प्रमुखता से खाया जाने वाला भोजन है। रोटी के बिना आहार पूर्ण नहीं माना जाता है। हालांकि, हिंदू धर्म में कई ऐसे मौके और त्योहार आते हैं, जब रोटी बनाना अशुभ माना जाता है। ऐसा करने से मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं। साथ ही इससे घर में दरिद्रता छाने लगती है।

दिवाली

दिवाली के दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। उनकी कृपा से घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है। इस दिन मां लक्ष्मी को भोग लगाने के लिए खास तरह के पकवान बनाए जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन घर में रोटियां नहीं बनानी चाहिए। यह अशुभ माना जाता है।

नागपंचमी

इस बार 21 अगस्त को नागपंचमी का त्योहार मनाया जाने वाला है। इस दिन घर की रसोई में तवा नहीं चढ़ाया जाता है। इस दिन रोटी बनाने की मनाही होती है। तवा को राहु का रूप माना जाता है। इस दिन रोटी बनाने से मां लक्ष्मी और मां अन्नपूर्णा नाराज हो जाती हैं।

शरद पूर्णिमा

शरद पूर्णिमा के दिन हर घर में खीर और पूरी बनाई जाती है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। ऐसे में इस दिन घर में रोटी बनाना वर्जित माना जाता है। इस दिन पकवान ही बनाएं।

शीतला अष्टमी

शीतला अष्टमी के दिन माता शीतला को बासी भोजन का भोग लगाने का नियम है। इस दिन माता की पूजा के बाद प्रसाद के रूप में बासी भोजन ही ग्रहण किया जाता है। ऐसे में इस दिन घर में ताजी रोटियां नहीं बनाई जाती हैं।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button